कहने का मतलब यह है..

Last Updated 24 Apr 2017 05:55:22 AM IST

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के जिस बयान ने देश में तूफान पैदा कर दिया है, उस पर बने बनाए माहौल के विपरीत संतुलित तरीके से विचार करने की आवश्यकता है.


केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (फाइल फोटो)

देश की राजनीति ऐसी हो गई है, जिसमें बात का बतंगड़ बनाना और अपने राजनीतिक मकसद को ध्यान में रखते हुए उस पर प्रतिक्रियाएं देना आम स्थिति है. इस कारण कई बार जिस विषय पर तार्किक बहस होनी चाहिए, विवेकी विरोध या समर्थन किया जाना चाहिए उसकी गुंजाइश ही खत्म हो जाती है. यह किसी भी स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज या राजनीतिक प्रतिष्ठान के लिए चिंताजनक स्थिति है. विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि केंद्रीय मंत्री के नाते रविशंकर प्रसाद का बयान आपत्तिजनक है. ठीक है कि देश में इतने खुले तौर पर भाजपा के किसी बड़े नेता या सरकार के मंत्री ने इसके पहले नहीं कहा था कि मुसलमान उनको वोट नहीं देते. चूंकि नेताओं के मुंह से हमें ऐसा सुनने की आदत नहीं है, लिहाजा लगता है कि अरे प्रसाद ने ये क्या बोल दिया?

पूरा देश जानता है कि मुसलमान सामान्यत: भाजपा को वोट नहीं देते. विपक्षी नेता भी इसे ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियां बनाते हैं और उम्मीदवार खड़ी करते हैं. इस बात पर तो बहस हो सकती है कि मुसलमान सही करते हैं या गलत, लेकिन इस पर कोई दो राय नहीं हो सकती कि यह मुसलमानों का अधिकार है कि वह किसे वोट दें या किसे नहीं दें? कोई पार्टी उन्हें वोट देने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. अगर उनको लगता है कि भाजपा उनके लिए अनुकूल पार्टी नहीं है तो उसे वे वोट नहीं करेंगे. किंतु रविशंकर प्रसाद ने केवल एक कटु सच को व्यक्त किया है. हालांकि, इसको व्यक्त करने के पीछे उनका मकसद वह नहीं हो सकता जैसा विपक्षी नेता बता रहे हैं. उनके पूरे बयान को देखने के बाद तटस्थ निष्कर्ष यही है कि उन्होंने कुछ संदभरे में अपनी बात कही है.

पहला, कि हमें कोई वोट दे या नहीं दे इसके आधार पर हम शासन में भेदभाव नहीं करते. मुसलमान हमको वोट नहीं देते बावजूद हम उनको पूरी सुरक्षा देते हैं, सम्मान देते हैं और उनके विकास के लिए बिना भेदभाव के कार्यक्रम और योजनाएं चलाते हैं. इसके द्वारा वे यह भी संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि भाजपा को विपक्षी दलों ने लंबे समय से बदनाम किया हुआ है कि यह मुस्लिम विरोधी पार्टी है, जो गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार समावेशी समाज में विश्वास करती है. उन्होंने अपने ट्विट में कहा है कि वे देश की विविधता में विश्वास रखते हैं. हर भारतीय चाहे वह हिन्दू हो, मुसलमान हो, ईसाई हो या किसी भी वंचित समुदाय का हो, सबका विकास हमारी प्राथमिकता है. हम लोगों के विकास को वोट बैंक के पैमाने से नहीं मापते. अब जरा विपक्ष को देखिए. एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी कह रहे हैं कि भाजपा नहीं, बल्कि संविधान ने सुरक्षा और सम्मान का यह हक प्रदान किया है. बिल्कुल दिया है. इससे किसने इनकार किया है ओवैसी जी? किंतु इस समय संविधान के पालन की जिम्मेवारी तो भाजपा पर ही है. वह चाहे तो अघोषित रूप से भेदभाव कर सकती है.

कांग्रेस ने कह दिया कि कानून मंत्री के रुख से साफ है कि उनकी पार्टी देश के बहुलवादी लोकतंत्र में ही विश्वास नहीं रखती. अब इसमें बहुलवादी लोकतंत्र पर अविश्वास की बात कहां से आ गई? शकील अहमद ने कहा कि भाजपा को लगता है कि जब मुसलमान उसे वोट नहीं देते तो फिर मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन जैसे मुस्लिम नेताओं को दिखावे के लिए रखने का क्या औचित्य है? माकपा महासचिव सीताराम येचुरी कहते हैं, ‘मंत्री का दावा कि भाजपा सुरक्षा और सम्मान दे रही है, हास्यास्पद है क्योंकि सभी नागरिकों को संविधान ने यह मूलभूत गारंटी दी है और इसे सुनिश्चित करना किसी भी सरकार की पहली जवाबदेही. यहां यह जानना जरूरी है कि रविशंकर प्रसाद ने अपनी ओर से बयान दिया भी नहीं था.

उन्होंने विकास का संस्कृति और विभिन्नता पर प्रभाव के बारे में पूछे गए सवाल  का जवाब दिया था-‘हमें कभी मुस्लिम वोट नहीं मिलते. लेकिन हमने उन्हें पूरी पवित्रता से स्वीकर किया है या नहीं? भाजपा के 13 मुख्यमंत्री हैं. हम देश पर शासन कर रहे हैं. क्या हमने किसी नौकरीपेशा या व्यापार करने वाले मुसलमान को प्रताड़ित किया है? क्या हमने उन्हें काम से हटाया है? हम भारत की विविधता और संस्कृति को सलाम करते हैं. इसे देखने के दो तरीके हैं. आज मैं बहुत बेबाकी से यह कहता हूं कि लंबे समय से हमारे खिलाफ अभियान चलाए गए हैं. लेकिन आज हम यहां हैं, क्योंकि भारत की जनता का आशीर्वाद हमारे साथ है.

आईटी मंत्री होने के नाते मैं बहुत से मुस्लिम बहुसंख्यक गांवों में गया हूं. वहां मुस्लिम युवक कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं. इससे लोगों को इंटरनेट के जरिए सरकारी सेवाएं हासिल करने में मदद मिलती है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जलपाईगुड़ी दौरे में मिले एक मुस्लिम चाय बागान श्रमिक करीमुल्ला हक का जिक्र किया. हक ने समाजसेवा का एक लाजवाब काम किया है. उन्होंने एक मोटरसाइकिल को एम्बुलेंस में बदल दिया है, जो बीमार लोगों को अस्पताल ले जाती है. इस अनूठे योगदान से अब तक 2000 से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकी है. उसे सरकार ने पद्मश्री प्रदान किया.’

रविशंकर प्रसाद के बयानों को समग्रता में देखने पर विवाद का कोई औचित्य नजर नहीं आता. किंतु जो लोग अभी तक भाजपा का नाम लेकर मुसलमानों को डराने और वोट लेने का काम कर रहे थे, उनको ऐसे बयान अपनी राजनीति के लिए खतरा लगते हैं. वैसे भी मुसलमानों के वोट न देने के बावजूद भाजपा केंद्र से राज्यों तक शासन में है. इसका सबके लिए कुछ अर्थ है, जिसे साहस के साथ स्वीकारना होगा. प्रसाद के बयान में मुसलमानों के लिए आत्मचिंतन करने की सलाह भी निहित है. वे वाकई आत्मचिंतन करें कि भाजपा को वोट न देकर आज तक उन्होंने सही किया या गलत. अगर उन्हें लगता है, भाजपा सरकार उनके विरुद्ध काम कर रही है तो फिर उन्हें आम समय भी भाजपा के खिलाफ खड़ा होना चाहिए. अगर नहीं किया है तो फिर अपने रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए.

 

 

अवधेश कुमार


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