Parliament Winter Session: राज्यसभा में सीतारमण ने कहा- NPA कम हो रहा है और मुनाफा भी कमा रहे हैं बैंक

Last Updated 05 Dec 2023 03:43:46 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्यसभा में जोर देकर कहा कि देश में बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति निरंतर कम हो रही है और सभी बैंक फायदे की स्थिति में है तथा देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)

सीतारमण ने मंगलवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार के पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार की नीतियों के कारण गैर निष्पादित संपत्ति यानी एनपीए निरंतर कम हो रहा है तथा बैंकों की स्थिति मजबूत हो रही है क्योंकि वे मुनाफा कमा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अमेरिका और जर्मनी सहित दुनिया के विभिन्न बड़े देशों के बैकों की हालत खस्ता हो रही है वहीं भारत में बैंक फल फूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के अनुसार वाणिज्यिक बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति 0.95 प्रतिशत पर तो सरकारी बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति 1.24 प्रतिशत तक आ गयी है।

उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के चलते कभी बुरी हालत में रही हमारी अर्थव्यवस्था अब तेज गति से बढ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दस वर्ष के शासनकाल में ‘फोन बैंकिंग’ के कारण बैंकों की हालत चरमरा गयी थी। उस समय बैंकों के कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप किया जाता था और लोगों को बिना जांच और प्रक्रिया के ही नियमों का उल्लंघन कर टेलिफोन के माध्यम से रिण देने की सिफारिश की जाती थी। इससे बैंकों की व्यवस्था चरमरा गयी।

सीतारमण ने कहा कि जानबूझकर रिण नहीं चुकाने वाले ढाई हजार से भी अधिक लोगों के खिलाफ व्यापक स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि 13 हजार 978 खाताधारकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गयी है। सरफेसी अधिनियम के तहत भी 11 हजार 483 मामलों में कदम उठाये जा रहे हैं।

सरकार की कार्रवाई के कारण 33 हजार 801 करोड़ रूपये की वसूली की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के लोगों के खिलाफ सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग निरंतर कड़े कदम उठा रही है।

वित्त राज्य मंत्री भगवत कराड़ ने भी एक पूरक सवाल के जवाब में कहा कि दिवालिया प्रक्रिया से गुजरने वाली कंपनियों में ‘हेयर कट’ की राशि तय करने में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती क्योंकि यह सब निश्चित प्रक्रिया का हिस्सा है और इसका निर्णय साहुकारों की समिति यानी कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स लेती है।

वार्ता
नई दिल्ली


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