मल्टीप्लेक्स, पॉश रेस्तराओं में खाने-पीने की चीजें खरीदना आपके लिए हो सकता है महंगा साबित

Last Updated 24 Nov 2022 10:30:31 AM IST

शानदार मल्टीप्लेक्स या महंगे रेस्टोरेंट या एयरपोर्ट लाउंज में जाकर खाने-पीने की चीजें खरीदना आपके लिए बहुत महंगा साबित हो सकता है।


मल्टीप्लेक्स, पॉश रेस्तराओं में महंगे खाने-पीने की चीजों पर परिचालन शुल्क लिया जाता है : सरकार

सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन चीजों पर जगह और वातावरण के हिसाब से परिचालन शुल्क लिया जाता है। हालांकि, अगर आपको लगता है कि मल्टीप्लेक्स या पॉश होटल में बर्गर या पॉपकॉर्न के लिए प्रीमियम का भुगतान करने में आपकी मेहनत की कमाई धोखा देकर खींची जा रही है, तो ऐसा नहीं है। दरअसल, इन चीजों के लिए आप से परिचालन लागत वसूली जाती है, यानी 'वातावरण' के लिए अतिरिक्त शुलक लिया जाता है।

सूत्रों ने बताया कि चूंकि यह लागत वस्तु के प्रदर्शित मूल्य में शामिल है, इसलिए इसे ओवरचार्जिग नहीं कहा जा सकता।

उद्योग पर नजर रखने वालों का कहना है कि ऐसे मामलों में शायद ही कुछ ऐसा हो, जो अधिकारी कर सकें, क्योंकि परिवेश लागत के हिस्से के रूप में एक साधारण स्नैक पर अतिरिक्त कर लगाया जाता है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग को मुख्य रूप से ओवरचार्जिग की शिकायतें मिलती हैं, यानी जब लोग शिकायत करते हैं कि उनसे किसी उत्पाद पर उल्लिखित अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक शुल्क लिया गया है।

विभाग के सूत्रों ने बताया कि इन मामलों में कार्रवाई जरूरी है।



हालांकि, अगर मल्टीप्लेक्स या हाई-एंड रेस्तरां में स्नैक्स के लिए असाधारण रूप से बड़ी रकम का भुगतान करने की बात आती है, तो यह कुछ ऐसा है जो सेवा प्रदाता द्वारा ग्राहक को उपलब्ध कराए जा रहे माहौल और इसे प्रदान करने की लागत के लिए चार्ज किया जाता है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के सूत्रों ने कहा, "यह उस विशेष उत्पाद के लिए एमआरपी में अंतर्निहित है, इसलिए यह कुछ ऐसा है जो ऐसी जगहों पर अपेक्षित है। हम केवल तभी हस्तक्षेप कर सकते हैं, जब काउंटर भुगतान के मामले में चार्ज की जाने वाली राशि एमआरपी से अधिक हो।"

यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि अतीत में सरकार ने बोतलबंद पानी या पैकेज्ड खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थो को एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचे जाने की शिकायतों को गंभीरता से लिया था।

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पहले कहा था कि उसे उत्पादों को एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचे जाने की शिकायतें मिलती रहती हैं।

सूत्रों ने कहा कि लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 में एमआरपी से ऊपर चार्ज करने से रोकने के प्रावधान हैं, संबंधित अधिकारियों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जाता है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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