आयात-निर्यात के आंकड़े भी गोपनीयता की श्रेणी में

Last Updated 06 Feb 2022 04:19:01 AM IST

देश के आयात और निर्यात संबंधी आंकड़े गोपनीयता की श्रेणी में शामिल किए जा रहे हैं। इन आंकड़ों को प्रकाशित करने वाले को 50 हजार रुपये जुर्माना और छह महीने की जेल हो सकती है।


आयात-निर्यात के आंकड़े भी गोपनीयता की श्रेणी में

कुछ आयातक और निर्यातक सरकारी आंकड़ों का प्रकाशन कर रहे हैं, जिसके कारण सरकार की नीतियां प्रभावित हो रही हैं।

सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त विधेयक-2022 पेश किया था। इस विधेयक में सीमा शुल्क अधिनियम में धारा 135एए को जोड़ा जा रहा है, जिसमें कहा गया है कि आयात और निर्यात के डाटा की रक्षा करने के लिए नई धारा जोड़ी जा रही है।

प्रावधान के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत निर्यात और आयात वस्तुओं की मात्रा और मूल्य के बारे में विवरण प्रकाशित किया जाता है, तो इसे छह महीने तक के कारावास या 50 हजार रुपये दंड का प्रावधान किया जाएगा।

बजट ने डेटा की सुरक्षा के लिए वित्त विधेयक के माध्यम से सीमा शुल्क अधिनियम में धारा 135एए को पेश करने का प्रस्ताव दिया है। इसमें लिखा गया है कि यदि कोई व्यक्ति भारत से निर्यात या आयात के लिए दर्ज किए गए माल के मूल्य या वर्गीकरण या मात्रा से संबंधित कोई जानकारी प्रकाशित करता है, जब तक कि किसी के तहत ऐसा करने की आवश्यकता न हो।

प्रावधान का उल्लंघन करना दंडनीय अपराध होगा। इसने स्पष्ट किया कि इस खंड में निहित कुछ प्रावधान केंद्र सरकार द्वारा या उसकी ओर से किए गए किसी भी प्रकाशन पर लागू नहीं  है। इस खंड के प्रयोजनों के लिए अभिव्यक्ति प्रकाशित में मुद्रित या इलेक्ट्रॉनिक रूप में जानकारी को पुन: प्रस्तुत करना और इसे जनता के लिए उपलब्ध कराना शामिल है।

वित्त विधेयक, 2022 के व्याख्यात्मक ज्ञापन में कहा गया है कि सीमा शुल्क अधिनियम में धारा 135एए को आयातकों या निर्यातकों द्वारा अपनी घोषणाओं में सीमा शुल्क को प्रस्तुत किए गए आयात और निर्यात डेटा की रक्षा करने के लिए इस तरह की जानकारी का प्रकाशन करके, जब तक कि कानून द्वारा प्रदान नहीं किया जाता है, सम्मिलित किया जा रहा है। मूल्यांकन के बारे में सीमा शुल्क आयात और निर्यात डेटा गोपनीय डेटा हैं, लेकिन कुछ लोगों के पास इस डेटा तक पहुंच थी और वे इसे प्रकाशित कर रहे थे, लेकिन संशोधन के बाद अब यह दंडनीय अपराध हो जाएगा।

सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के तहत इसी तरह के प्रावधान मौजूद हैं, जिसके तहत सरकार मूल्य और आउटपुट डेटा एकत्र करती है, जिससे सरकारी कर्मचारियों के लिए उत्पादकों द्वारा साझा की गई किसी भी जानकारी का खुलासा करना अपराध हो जाता है।

रोशन/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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