अच्छी पेंशन के लिए बैठक 5 जनवरी को

Last Updated 05 Jan 2022 02:35:28 AM IST

नई पेंशन पर विचार करने के लिए सरकार ने बुधवार को फिर बैठक बुलाई है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में सरकार पेंशन के मुद्दे पर अपना नजरिया और अधिक स्पष्ट करेगी।


अच्छी पेंशन के लिए बैठक 5 जनवरी को

श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में पेंशन के मुद्दे पर विचार करने के लिए बनाई गई समिति की यह दूसरी बैठक है। पिछली बैठक में समिति के सदस्यों के ज्यादा सवाल यही थे कि सरकार बताए कि आखिर वह कैसी पेंशन की पक्षधर है और इसमें अंशदान किस अनुपात में होगा। सरकार के बैठक के एजेंडें में पेंशन रिफार्म शब्द का उल्लेख किया है।

कहा जा रहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि की पेंशन ईपीएफ 95 को लेकर कोर्ट के कड़े रुख का भी असर सरकार पर है। पेंशन को लेकर बनाई समिति को भी उससे जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि यह संकेत भी दिए जा रहे हैं कि ईपीएफ 95 की पेंशन में सरकार सुधार करेगी यानी पेंशन बढ़ेगी।

श्रमिक संगठन न्यूनतम पेंशन 1000 से बढ़ाकर 5000-7000 रुपए महीना करने की मांग कर रहे हैं। पेंशन बढ़ाने की मांग तो हर साल की जाती है लेकिन सरकार यही दलील देकर पेंशन नहीं बढ़ाती है कि एक हजार रुपए की न्यूनतम पेंशन के लिए भी उसे अपने बजट से धनराशि देनी पड़ रही है। सरकार कहती है कि कर्मचारी भविष्य निधि के पेंशनधारियों की संख्या लगभग 69 लाख है, इसलिए पेंशन की राशि बढ़ाने से उस पर अधिक बोझ आ जाएगा।

श्रमिक संगठन और ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के सदस्यों का कहना है कि ईपीएफ के खातों में काफी राशि है, इसका सही इस्तेमाल करके न्यूनतम पेंशन बढ़ाई जा सकती है। पेंशन को लेकर दो प्रमुख मसले हैं।

अभी न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपए महीना उन्हीं श्रमिकों को मिलती है जिनका अधिकतम वेसिक वेतन 15000 रुपए महीना है। इसमें नियोक्ता और श्रमिक दोनों का अंशदान होता है जिससे पेंशन फंड में 8.33% राशि जमा होती है।

अब सरकार चाहती है कि ज्यादा पेंशन की चाहत रखने वाले अपने वेतन से अधिक अंशदान कटाएं। वह नियोक्ता का अंशदान बढ़ाने पर खामोश है। वहीं एक लाख रुपए या अधिक मासिक वेतन वाले कर्मियों के मामले में सरकार का दृष्टिकोण यही है कि पेंशन के लिए उन्हें ही अंशदान देना है।

अजय तिवारी/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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