नई पेंशन में अभी लगेगा समय
नई पेंशन के लिए हुई बैठक में सरकार ने सामाजिक सुरक्षा की विदेशी योजनाओें का प्रस्तुतिकरण तो दिखाया लेकिन इस दिशा में कोई ठोस बात नहीं की।
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सरकार ने यह भी नहीं बताया कि उसका पेंशन में अंशदान क्या होगा ? अभी सरकार का रुख यही है कि ज्यादा पेंशन चाहने वाले कर्मी/श्रमिकों को अपना अंशदान बढ़ाना होगा। अधिक वेतन वालों को पेंशन की गारंटी देने के लिए भी सरकार तैयार नहीं है।
बैठक में यह बात भी रही है कि श्रम और रोजगार मंत्रालय और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के बीच नई पेंशन को लेकर तालमेल नहीं है। बैठक में जब पेंशन समिति के सदस्यों ने कहा कि उन्हें इस बार भी पहले से विषय से सम्बंधित कागजात नहीं मिले तो श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव ने ईपीएफओ की कार्यशैली के प्रति नाखुशी जाहिर की। हुआ यह था कि पेंशन की समिति के सदस्यों ने कहा कि पिछली बैठक में भी यह मुद्दा उठा था कि विषय से सम्बंधित प्रस्तुतिकरण इत्यादि की जानकारी पहले से भेजी जाएगी। इस बार एक सदस्य ने कहा कि जब पहले से कोई जानकारी ही नहीं मिली है तो वह अपना मत कैसे रख सकते हैं। बैठक में सिर्फ ये ही एक अच्छी बात रही कि श्रम और रोजगार सचिव ने ईपीएफओ से कहा कि लोग सरकार से एक अच्छी पेंशन योजना की अपेक्षा कर रहे हैं और इस विषय पर मीडिया में भी खासी चर्चा हो रही है।
लिहाजा ईपीएफओ अपने खाताधारकों के लिए अच्छी पेंशन योजना पर काम करे। इधर यह जानकारी भी सामने आई है कि ईपीएफओ के छह करोड़ खाताधारकों में से सिर्फ दो करोड़ खाते ही सक्रिय हैं यानी उनमें ही नियमित अंशदान जमा हो रहा है।
श्रमिक संगठनों का ज्यादा जोर इस पर है कि सरकार एक हजार रुपए की न्यूनतम पेंशन की राशि बढ़ाए। इसको लेकर मीडिया में नौ हजार रुपए मासिक पेंशन तक की चर्चा है लेकिन बैठक में सरकार ने संकेत दिए कि पेंशन के लिए उससे अधिक धनराशि की उम्मीद न लगाई जाए।
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