सहारा ने सेबी के खिलाफ दायर की अवमानना याचिका

Last Updated 03 Dec 2020 04:53:04 AM IST

सहारा समूह की दो कंपनियों ने बाजार नियामक सेबी के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।


सहारा ने सेबी के खिलाफ दायर की अवमानना याचिका

दोनों कंपनियों का आरोप है कि सेबी की उनसे 62,602 करोड़ रुपए की मांग न केवल अवमाननापूर्ण कदम है बल्कि शीर्ष अदालत के निर्देशों की अनदेखी करने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास है।
सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन लि. (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लि. (एसएचआईसीएल) ने अपनी अवमानना याचिका में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा न्यायालय के निर्देशों का स्पष्ट तौर पर जानबूझकर अनदेखी का आरोप लगाया है। याचिका में कहा गया है कि सेबी की कंपनियों से 62,602 करोड़ रुपए की मांग शीर्ष अदालत के 6 फरवरी 2017 के आदेश का उल्लंघन है। आदेश में न्यायालय ने कहा था कि फिलहाल केवल मूल राशि का मामला है। ब्याज मामले पर बाद में विचार किया जाएगा। दोनों कंपनियों ने कहा कि सेबी की राशि की मांग और सहारा कंपनियों के खिलाफ अवमानना दायर करना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी है। यह शीर्ष अदालत को गुमराह करने का प्रयास है और यह सहारा के खिलाफ लोगों में नाराजगी का कारण बन सकता है। सहारा की कंपनियों ने अपनी याचिका में सेबी और उसके चेयरमैन अजय त्यागी तथा दो अन्य को पक्षकार बनाया है और उन पर न्यायालय के विभिन्न आदेशों का उल्लंघन का आरोप लगाया है। याचिका में कहा गया है, ‘इस परिस्थिति में याचिकाकर्ता न्यायालय के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर प्रतिवादी (सेबी) के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह करता है।’ याचिका में सेबी को न्यायालय के निर्देश के अनुसार अपनी जिम्मेदारी निभाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

दोनों कंपनियों ने कहा, शीर्ष अदालत ने 6 फरवरी 2017 के आदेश में निर्देश दिया था कि वह मूल राशि को लेकर चिंतित है और ब्याज मामले पर बाद में विचार किया जाएगा लेकिन सेबी ने निर्देशों का उल्लंघन किया है और राशि में ब्याज को भी जोड़ दिया। याचिका के अनुसार, ऐसा लगता है कि सेबी ने कुछ निहित स्वार्थ के कारण सत्यापन प्रक्रिया को पूरा नहीं किया। दोनों कंपनियों ने कहा, सेबी-सहारा रिफंड खाते में मूल राशि 24,029.73 के मुकाबले 22,500 करोड़ रुपए पड़े हैं। इसका मतलब है कि सहारा को मूल राशि में केवल 1,529 करोड़ रुपए ही जमा करने हैं। याचिका के अनुसार, आठ साल से अधिक समय हो गया है, इसके बाद भी सेबी ने 3.03 करोड़ निवेशकों का सत्यापन अब तक नहीं किया है और फलस्वरूप उनके पैसे नहीं लौटाए गए। सत्यापन और पैसा लौटाया जाना निवेशकों के हित में तथा सेबी-सहारा विवाद निपटान के लिए जरूरी है।

भाषा
नई दिल्ली


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