नीरव मोदी को झटका, ब्रिटिश अदालत ने भारत के सबूत स्वीकार किए

Last Updated 04 Nov 2020 10:14:49 AM IST

भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को एक और झटके का सामना करना पड़ा क्योंकि ब्रिटिश अदालत ने नीरव के खिलाफ सबूत स्वीकार कर भारतीय पक्ष में फैसला दिया है।


हीरा व्यवसायी नीरव मोदी(फाइल फोटो)
इसके साथ ही नीरव के भारत प्रत्यर्पण की संभावनाएं बढ़ गई हैं। मंगलवार की सुनवाई वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने प्रस्तुत साक्ष्य की स्वीकार्यता पर फैसले के लिए निर्धारित अतिरिक्त सुनवाई थी। नीरव मोदी को 1 दिसंबर तक रिमांड में भेज दिया गया। दोनों पक्ष 7 और 8 जनवरी को अंतिम बहस करेंगे और 2021 में इसके कुछ हफ्ते बाद फैसला आने की उम्मीद है।
 
नीरव मोदी के वकील क्लेयर मॉन्टगोमेरी क्यूसी ने मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी रवि शंकरन के साथ तुलना करके भारत की दलीलों पर काउंटर अटैक करने की कोशिश की। रवि शंकरन अब एक हथियार डीलर है, जो ब्रिटेन में है और उसका प्रत्यर्पण भी होना बाकी है।

कड़े विरोध के बावजूद डिस्ट्रिक्ट जज सैमुअल मार्क गूजी ने विजय माल्या के मामले में निर्णय के अनुसार फैसला करना तय किया, जिसमें कहा गया है कि धारा 161 के तहत भारत की अदालत में दिया गया बयान ब्रिटेन की अदालत में मान्य है।
 
क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने भारतीय अधिकारियों की ओर से बहस करते हुए जोर दिया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाह के बयान सहित साक्ष्य ब्रिटिश कोर्ट को यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करते हैं कि नीरव मोदी का भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष जवाब देने का मामला बनता है या नहीं।

इसने दलील दी कि पीएनबी के कई कर्मचारियों ने नीरव मोदी के साथ मिलकर 'लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग' (एलओयू) के लिए साजिश रची थी।
 
नीरव मोदी अनुमानित 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी घोटाले के मुकदमे का सामना करने के लिए भारत में वांछित है।

49 वर्षीय नीरव ने कोर्ट का कार्यवाही दक्षिण-पश्चिम लंदन के वैंड्सवर्थ जेल से वीडियोलिंक के जरिए देखी, जहां वह मार्च 2019 से बंद है।

वह 1 दिसंबर को नियमित रूप से 28 दिन की रिमांड कॉल-ओवर सुनवाई के लिए, वीडियोकॉल द्वारा अगली बार जेल से हाजिर होगा।

क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने भारतीय अधिकारियों की ओर से बहस करते हुए जोर दिया कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाह के बयान सहित साक्ष्य ब्रिटिश कोर्ट को यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करते हैं कि नीरव मोदी का भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष जवाब देने का मामला बनता है या नहीं।
 
 

आईएएनएस
लंदन


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