लौह अयस्क निर्यात में सरकार को 12,000 करोड़ की चपत!

Last Updated 27 Sep 2020 06:16:31 AM IST

भारत से लौह अयस्क का निर्यात करने पर 30 फीसद शुल्क अदा करना पड़ता है। मगर पेलेट्स बनाकर निर्यात करने पर सरकार कोई शुल्क नहीं लेती।


लौह अयस्क निर्यात में सरकार को 12,000 करोड़ की चपत!

यह पालिसी किसी और ने नहीं बल्कि लुटियन जोन की लॉबी के इशारे पर नौकरशाहों ने तैयार की है। इन्होंने आधा दर्जन कंपनियों पर इस कदर नजरें इनायत की कि उन्होंने कानूनी प्रावधानों की परवाह किए बिना करीब 40,000 करोड़ की लौह अयस्क पेलेट्स विदेशों में निर्यात कर दी। मामले का खुलासा हुआ तो हुकुमरानों में खलबली मची हुई है। विधि एवं न्याय मंत्रालय ने भी नौकरशाही के कारनामों पर तीखी टिप्पणी की है।
दरअसल 2014 से पहले देश में केवल एमएमटीसी को ही लौह अयस्क के निर्यात का लाइसेंस मिला हुआ था लेकिन उसे भी 64 फीसद से ज्यादा लौह अयस्क होने पर निर्यात की इजाजत अलग से लेनी होती थी। वर्ष 2014 में स्टील मंत्रालय ने नई पॉलिसी के तहत केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की केओआईसीएल को लौह अयस्क पेलेट्स के निर्यात की मंजूरी दे दी। इतना ही स्टील मंत्रालय के अधिकारियों ने नई पॉलिसी बनाकर 64 फीसद से अधिक लौह अयस्क को भी प्रतिबंध मुक्त कर दिया। लेकिन उसके लिए एमएमटीसी को चैनलाइज एजेंसी बना दिया गया। साथ ही चीन, यूरोप, साउथ कोरिया, जापान और ताइवान को निर्यात करने की छूट दे दी। सितम्बर 2014 में स्टील एवं वाणिज्यिक मंत्रालय की अनुशंसा पर केओआईसीएल को तीसरे पक्ष के माध्यम से भी निर्यात की इजाजत दे दी। लेकिन देश की कुछ बड़ी कंपनियों ने भी इजाजत नहीं होने के बावजूद लौह अयस्क पेलेट्स का निर्यात कर दिया।

सूत्रों की मानें तो जिन कंपनियों ने अपने खुद के प्रयोग के लिए लौह अयस्क खदानों के ठेके लिए हुए थे, उन्होंने ने भी हुकुमरानों के संरक्षण में करीब 40 करोड़ के लौह अयस्कों की पेलेट्स बनाकर विदेशों में निर्यात कर दिया जबकि वह इसके लिए अधिकृत ही नहीं थी।
यह मामला सीधे सीधे कानून के उलंघन का है। यहां ध्यान देने की बात यह है कि लौह अयस्क के निर्यात पर 30 फीसद शुल्क अदा करना होता है। मगर उनके पेलेट्स बनाकर निर्यात करने पर कोई ड्यूटी अदा नहीं करनी पड़ती है। इस तरह इन कंपनियों ने भारत सरकार को करीब 12,000 करोड़ रु पए के निर्यात शुल्क की चपत लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने इस मामले में विभिन्न सचिवों,  विदेश व्यापार महानिदेशक, राजस्व सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को भी कानूनी नोटिस भेजा है।

सहारा न्यूज ब्यूरो/सुबोध जैन
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment