ईपीएफ की रकम नहीं भरने पर भी जुर्माना नहीं लगाने की मांग अस्वीकार

Last Updated 10 Sep 2020 02:15:18 AM IST

ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) की राशि जमा नहीं करने पर भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के बहाने जुर्माने से बचने की कारोबारियों की मांग फिलहाल अस्वीकार कर दी गई है।


ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि)

बुधवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में जब कारोबारियों ने इस तरह की छूट मांगी तो कई न्यासियों ने इसका जमकर विरोध किया।
न्यासियों ने सीबीटी के अध्यक्ष श्रम मंत्री संतोष गंगवार से कहा कि जुर्माने का भय हरगिज समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। ईपीएफ की राशि जमा नहीं करने पर अधिकतम 27% तक जुर्माना लगता है। हालांकि जुर्माने के कई चरण हैं। बताया जा रहा कि जुर्माना कम करने के लिए संसद की भी अनुमति की जरूरत नहीं है, इसे नियमों को बदलकर भी घटाया जा सकता है। जब कारोबारियों की तरफ से माइकल डायस ने प्रधानमंत्री का उल्लेख करके कारोबार में सुगमता के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस वाली सोच का उल्लेख करके जुर्माना पूरी तरह समाप्त करने की बात कही तो शुरू में श्रम मंत्री भी नरम पड़ गए और उन्होंने कारोबारियों को दफ्तर में आकर इस पर चर्चा करने के लिए कहा। दूसरी तरफ सीबीटी में श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले न्यासियों ने कारोबारियों के इस प्रस्ताव का जमकर विरोध किया।

उन्होंने इस मुद्दे पर श्रम मंत्री का कारोबारियों को मिलने का प्रस्ताव दिए जाने पर भी ऐतराज जताया, जिसके बाद श्रम मंत्री ने कारोबारियों से मिलने की बजाय इस विषय पर एक समिति बनाने की बात कही। हालांकि वर्चुअल बैठक होने से कुछ न्यासी कहते हैं कि समिति बनाए जाने की बात उन्होंने नहीं सुनी। इस मामले में बीएमएस के महासचिव विरजेश उपाध्याय काफी मुखर थे। जुर्माना समाप्त करने की मांग पर उन्होंने काफी ऊंची आवाज में कहा कि ऐसा कभी नहीं होगा।

सहारा न्यूज ब्यूरो/अजय तिवारी
नई दिल्ली


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