बढ़ने लगे यात्री, कम पड़ने लगीं स्पेशल ट्रेनें

Last Updated 16 Aug 2020 05:21:42 AM IST

कोरोना कहर के कारण भले ही नई स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए सावधानी बरती जा रही है, लेकिन यात्रियों की संख्या बढ़ने के चलते चल रहीं ट्रेनें कम पड़ने लगी हैं।




बढ़ने लगे यात्री, कम पड़ने लगीं स्पेशल ट्रेनें

खासकर स्लीपर और सामान्य श्रेणियों में सफर करने वाले यात्रियों को लंबी प्रतीक्षा सूची का सामना करना पड़ रहा है। एक-दो ट्रेनों में तो स्लीपर और सामान्य श्रेणी में प्रतीक्षा सूची के टिकट भी मौजूद नहीं हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश से दिल्ली, मुंबई आदि शहरों को जाने वाले यात्रियों को कम्फर्म टिकट नहीं मिल रहा है।
औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने से कोरोना काल के बीच बिहार, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से लोग काम-धंधे के सिलसिले में लौटने लगे हैं। लेकिन लंबी दूरी से लौटने के लिए उनके ट्रेनों में टिकट नहीं मिल रहा है, क्योंकि स्पेशल/मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की संख्या कम है। इसके साथ ही कोरोना के कारण सामाजिक दूरी की अनिवार्यता भी जरूरी है। लिहाजा जितने बर्थ हैं, उतने कम्फर्म टिकट के यात्रियों को चढ़ने की अनुमति है। इस कारण प्रतीक्षा सूची के यात्रियों के सफर की गुंजाइश भी शून्य हैं। रेलवे के सामने संकट है कि वह बिना राज्य सरकारों की अनुमति के अधिक स्पेशल ट्रेनें नहीं चला सकता। कोरोना के प्रोटोकॉल के कारण यह संभव नहीं है। यात्री सफर के लिए कन्फर्म टिकट का इंतजार कर रहे हैं।

करीब तीन सप्ताह पूर्व रेलवे ने आंकड़ों के आधार पर बताया था कि मौजूदा समय में चल रही 200 स्पेशल मेल/एक्सप्रेस और 30 राजधानी एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेनों में औसतन 75 बर्थे (आक्यूपेंशी) बुकिंग है। लेकिन इन ट्रेनों में 58 ट्रेनें 100 प्रतिशत बर्थ बुक हैं। अब इस स्थिति में काफी अंतर आया है। जिन ट्रेनों में प्रतीक्षा है वह लंबी है। लिहाजा कुछ सप्ताह तक प्रतीक्षा सूची के बावजूद कन्फर्म होने की गुंजाइश कम है। लेकिन एक-दो एसी ट्रेनें हैं, जिनमें प्रतीक्षा सूची का भी टिकट मौजूद हैं।

सहारा न्यूज ब्यूरो/विनोद श्रीवास्तव
नई दिल्ली


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