कागज उद्योग को आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में शामिल करने की मांग

Last Updated 13 Apr 2020 08:26:33 PM IST

कोरोना का प्रसार रोकने के लिए सरकार मौजूदा देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसे देखते हुए भारतीय कागज उद्योग ने कागज को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में शामिल करते हुए लॉकडाउन के प्रतिबंधों से छूट देने की मांग की है।


कागज उद्योग को आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में

सरकार को लिखे पत्र में इंडियन पेपर मैन्यूफैक्च र्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने कहा है कि कागज अपने अलग-अलग रूप में लोगों के दैनिक जीवन का अहम अंग है और इसे लॉकडाउन के दौरान छूट वाली आवश्यक सेवाओं में शामिल किया जाना चाहिए।

आईपीएमए के प्रेसिडेंट ए. एस. मेहता ने कहा, "कागज मिल्स सतत उत्पादन प्रक्रिया वाली इकाइयां हैं और इसलिए इन्हें लॉकडाउन से छूट मिलनी चाहिए। हालांकि कुछ राज्यों में सतत उत्पादन प्रक्रिया वाले उद्योगों की परिभाषा बहुत स्पष्ट नहीं है। इस उलझन को खत्म करने के लिए हमने केंद्र सरकार से अपील की है कि सभी राज्य सरकारों को निर्देश दें कि एकीकृत पेपर मिल्स को सतत उत्पादन प्रक्रिया वाली इकाई मानते हुए काम करने की अनुमति दें।"

आईपीएमए के मुताबिक, कागज उद्योग को न केवल कार्यालयों और शिक्षण कार्यो के लिए लिखने और छपाई करने वाले कागज की मांग को पूरा करना है बल्कि बड़े पैमाने पर लगभग सभी वस्तुओं की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले कागज (पेपर बोर्ड) की भी आपूर्ति करनी है। खासकर सभी तरह की आवश्यक वस्तुएं जैसे; एफएमसीजी उत्पादों, दवाओं, खाद्य पदार्थो, दूध के कार्टन आदि की पैकिंग में इसकी जरूरत होती है। टिश्यू पेपर का उत्पादन आवश्यक है क्योंकि यह साफ-सफाई में विशेष भूमिका निभा रहा है। घरों या अस्पतालों आदि में हेल्थ इमरजेंसी के दौरान यह काम आता है। न्यूजप्रिंट पेपर अखबारों की छपाई के लिए जरूरी है।

आईपीएमए ने कहा कि जब स्कूल और कॉलेज पुन: खुलेंगे तब नए सत्र के लिए बड़े पैमाने पर कॉपी, किताबों की जरूरत होगी। उससे पहले ही पूरी आपूर्ति चेन को दुरुस्त कर लेने की जरूरत है, ताकि ग्राहकों को परेशान नहीं होना पड़े। यह भी ध्यान देने की बात है कि दुनियाभर में (चीन, इंडोनेशिया, यूरोप, अमेरिका आदि) पेपर मिल्स काम कर रही हैं।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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