पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद कर बढ़ाने का कांग्रेस, माकपा ने किया विरोध

Last Updated 14 Mar 2020 04:07:48 PM IST

कांग्रेस ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने पर उसका लाभ उपभोक्ताओं को देने के बजाय सरकार ने आज पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी जो देश की जनता के साथ अन्याय है। वहीं मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि यह एक तरह का अपराध है।


कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में पाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को बढ़े उत्पादन शुल्क को वापस लेना चाहिए और पेट्रोल एवं डीजल को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाकर इनकी कीमत तुरंत प्रभाव से 40 फीसदी तक घटानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरे हैं, उसी हिसाब से देश में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस तथा सीएनजी की कीमतें कम होनी चाहिए। सरकार को इन घटी दरों पर अनाप-शनाप लाभ कमाने की बजाए इसका सीधा फायदा देश की जनता को देना चाहिए और पेट्रोलियम पदाथरें की कीमतें कम करनी चाहिए।

विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत आज 35 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गयीं हैं लेकिन हमारी सरकार उसका फायदा जनता को देने की बजाय खुद मुनाफा कमा रही है औऱ लोगों की जेब पर बोझ डाल रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि वर्ष 2004 के जून-जुलाई में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल का मूल्य 35 डॉलर के करीब था तो हमारे यहां डीजल का 22 रुपए 74 पैसा प्रति लीटर तथा पेट्रोल 35 रुपए 71 पैसे लीटर था। एलपीजी का सिलेंडर 281 रुपए 60 पैसे था लेकिन आज उससे लगभग तीन गुना ज्यादा दाम पर डीजल मिल रहा है। डीजल 62 रुपए 81 पैसे और पेट्रोल 70 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा पर मिल रहा है। एलपीजी सिलेंडर 858 रुपए का है।

माकन ने कहा कि सरकार ने आज दाम कम करने की बजाय तेल पर एक्साइज ड्यूटी तीन रुपए बढ़ा दी है। पेट्रोल एक रुपए बढा दिया है और डीजल रोड़ सैस के तौर पर बढ़ा दिया है। सरकार कहती है कि इस कदम से करीब 40 हजार करोड़ रुपए का उसे मुनाफा होगा। हैरानी की बात ये है कि प्रधानमंत्री के आर्थिक परिषद के सलाहकार डॉ. निलेश शाह ने कल ही कहा है कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम घटने से सरकार को तीन लाख 40 हजार करोड़ रुपए का फायदा हुआ है।

उन्होंने कहा कि 2004 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल जो दाम थे आज यह लगभग उसी कीमत पर है लेकिन सरकार जनता से इसकी कीमत कहीं ज्यादा वसूल रही है। इस तरह से एक मोटर साईकिल पर 10 लीटर पेट्रोल भरवाने पर करीब 343 रुपए और स्कूटर पर पांच लीटर पेट्रोल भरवाने पर 171 रुपए फालतू लिए जा रहे हैं। इसी प्रकार कार पर 40 लीटर डीजल भरवाने पर लगभग 1600 रुपए अधिक देने पड़ रहे हैं। इस तरह से सरकार पेट्रोल या डीजल लेने वालों की जेब पर डाका डाल रही है।

प्रवक्ता ने सरकार से कच्चे तेल के घटे दाम का फायदा सीधे लोगों को देने की मांग करते हुए कहा कि पेट्रोल तथा डीजल की कीमत 40 प्रतिशत तक घटाई जाए। इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने पेट्रोल पर 2014 से एक्साइज ड्यूटी और कस्टम नौ रुपए 48 पैसे से बढ़ाकर 22 रुपए 98 पैसे और डीजल पर तीन रुपए 56 पैसे से बढ़ाकर 18 रुपए 33 पैसे कर दिया है और इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी  ने पेट्रोल और डीजल पर विशेष उत्पाद कर बढ़ाये जाने की तीखी आलोचना की है और कहा है कि यह एक तरह का अपराध है क्योंकि इससे न केवल महंगाई और बढ़ेगी बल्कि महंगाई की मार झेल रहे लोग और परेशान हो जाएंगे।

माकपा पोलित ब्यूरो ने शनिवार को यहां जारी बयान में कहा कि पेट्रोल पर विशेष उत्पाद कर दो रुपए से बढ़ाकर आठ रुपये कर दिया गया है जबकि डीजल पर चार रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इस तरह पेट्रोल पर 22.98 रुपये उत्पाद कर देने होंगे और डीजल पर 18.83 रुपये उत्पाद कर देने होंगे।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2014 से जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है तब से पेट्रोल पर 142 प्रतिशत और डीजल के दामों पर पर 429 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। पार्टी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था वैसे ही खराब दौर से गुजर रही है, इस वृद्धि से हालात और खराब होंगे। पार्टी ने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल की कीमतें इतनी गिर गई हैं तो उपभोक्ताओं को लाभ देने की जगह उल्टे उन पर बोझ बढ़ा दिया गया है।
 

वार्ता
नयी दिल्ली


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