अमेरिका फर्स्ट व मेक इन इंडिया के बीच अटकी बड़ी डील
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारी भरकम प्रतिनिधिमंडल के साथ 24 फरवरी को भारत आ रहे हैं लेकिन उनकी इस यात्रा में दोनों देशों के बीच कोई बड़ी व्यापारिक डील होने की संभावना न के बराबर है।
अमेरिका फर्स्ट व मेक इन इंडिया के बीच अटकी बड़ी डील |
दोनों देशों के बीच इस गतिरोध के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट व भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया की नीति बड़ी बाधा है।
हालांकि दोनों ही देश बड़े व्यापार समझौते को चाहते हैं लेकिन इन सबके बीच अपने राष्ट्रीय हितों को लेकर दोनों की अपनी मजबूरियां हैं। राष्ट्रपति ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी की हार्डवारगेनिंग के कायल हैं और इसी के चलते दोनों तरफ से अपनी-अपनी नीतियों को लेकर कड़ी सौदेवाजी हो रही है।
जानकारों का मानना है कि बावजूद इसके अमेरिका के राष्ट्रपति भारत से खाली हाथ नहीं लौटने वाले हैं। दरअसल ट्रंप राष्ट्रपति बनने से पहले बहुत बड़े कारोबारी रहे हैं और राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अमेरिका फर्स्ट की नीति पर अमल किया है तो वहीं प्रधानमंत्री मोदी का देश की कमान संभालने के बाद ही देश हित में मेक इन इंडिया पर जोर रहा है। किसी भी डील में मोदी की मेक इन इंडिया प्रभावी भूमिका निभाती आ रही है। ट्रंप की नाराजगी अमेरिकी उत्पादों पर भारत के शुल्क दरों को लेकर है। वहीं भारत की आपत्ति जीएसपी को लेकर है। अमेरिका अपने व्यापार कार्यक्रम जीएसपी के तहत अमेरिका में विकासशील देशों के उत्पादों को अपने यहां डयूटी फ्री एंट्री देता है। भारत पिछले कई वषोर्ं से इस नीति का फायदा उठा रहा था लेकिन अमेरिकी उत्पादों पर भारत के बढ़े शुल्क से नाराज होकर अमेरिका ने भारत को जीएसपी की सूची से हटा दिया। इसके पीछे तर्क यह दिया कि भारत के बढ़े शुल्क के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार में असंतुलन है।
इसके अलावा भारत चाहता है कि अमेरिका इस्पात व एल्युमिनियिम उत्पादों पर बढ़े हुए शुल्क को वापस ले। वहीं अमेरिका अपने कृषि, डेयरी व चिकित्सा उपकरणों के लिए भारत में अधिक पहुंच चाहता है। अमेरिका आईसीटी उत्पादों पर आयात शुल्क में भी कमी चाहता है। सूत्रों के अनुसार भारत की कोशिश है कि ट्रंप की यात्रा के दौरान बड़ी डील न हो पाने की स्थिति में कोई सीमित व्यापार समझौता हो जाए। इसके चलते भारत ने अमेरिका के लिए अपने पोल्ट्री और डेयरी बाजार को आंशिक रूप से खोलने की पेशकश की है लेकिन ट्रैरिफ को लेकर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है। सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के अधिकारी बीच का रास्ता निकालने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।
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