मनरेगा की राशि घटाने का कारण नहीं बता रही सरकार

Last Updated 02 Feb 2020 02:44:39 AM IST

सबसे सफल रोजगार कार्यक्रम मनरेगा के बजट में साढ़े नौ हजार करोड़ रुपए की कमी पर सरकार की ओर से असल जवाब नहीं आया है।




मनरेगा की राशि घटाने का कारण नहीं बता रही सरकार

जब देश में रोजगार संकट और किसानों से ज्यादा बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हों तब 12 करोड़ 45 लाख सक्रि य श्रमिकों वाले कार्यक्रम की राशि में 13 फीसद की कमी समझ से परे है। पिछले साल 71,000 करोड़ रुपए के रोजगार की मांग आई थी, फिर भी इस साल 61,500 करोड़ रुपए का ही प्रावधान किया गया है।

सरकार के इस रवैये से लगता है कि मनरेगा में दिहाड़ी 181 रुपए को बेहद कम बताकर बढ़ाने की जो मांग की जा रही है, वह फिलहाल जल्द पूरी होने वाली नहीं है। यूपी में मनरेगा के एक करोड़ 73 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड धारक हैं,जिससे लगभग ढाई करोड़ श्रमिकों को काम मिलता है। अगर परिवारों की बात करें तो यह संख्या 86 लाख 75 हजार होती है। बिहार में मनरेगा के एक करोड़ 77 लाख जॉब कार्ड हैं। इससे 2 करोड़ 44 श्रमिकों को रोजगार मिलता है। मनरेगा में सक्रिय परिवारों की संख्या बिहार में 51 लाख है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि भले ही मनरेगा कानून है लेकिन राशि कम किए जाने का असर यूपी, बिहार जैसे उन राज्यों पर अवश्य पड़ेगा जहां सूखा या अन्य कामों में इससे काफी फायदा पहुंचता है।

अन्य योजनाओं में वृद्धि नहीं
- स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने वाली मिड डे मील योजना में एक रुपए की भी वृद्धि नहीं
- आगंनबाड़ियों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की रीढ़ समझी जाने वाली आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भी मानदेय नहीं बढ़ा
- मातृत्व लाभ देने वाली प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की राशि में भी कोई वृद्धि नहीं
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना में 60 करोड़ रुपए कम हुए,यानी 280 करोड़ से घटाकर 220 करोड़ रुपए

अजय तिवारी/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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