..जेब कटी तो बैंक ही होगा जिम्मेदार

Last Updated 04 Nov 2019 05:12:54 AM IST

राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (एनसीडीआरसी) ने बैंक में रकम जमा करने आए शख्स की जेबतराशी के लिए बैंक को जिम्मेदार ठहराया है।


..जेब कटी तो बैंक ही होगा जिम्मेदार

बैंक से कहा गया है कि वह अपने ग्राहक को 50 हजार रुपए का मुआवजा दे। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने कहा कि अपने परिसर के भीतर सुरक्षा मुहैया कराना बैंक की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने ऋषभ कुमार सोगानी की याचिका पर यह फैसला दिया। पूसा रोड निवासी सोगानी का भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चांदनी चौक शाखा में बचत खाता था। 28 मार्च, 2016 को वह 70 हजार रुपए जमा करने बैंक की शाखा में गए थे। कैश काउंटर पर उनका नंबर आया तो नोटों से भरा लिफाफा उसकी जेब से गायब था। उन्होंने तुरंत सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिग देखी तो पता चला कि कतार में पीछे खड़े शख्स ने उसकी जेब से रकम निकाली थी। सोगानी की जेब में एक-एक हजार के 70 नोट थे। 70 हजार रुपए चोरी होने की शिकायत तुरंत की गई। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस राजेश कुमार अग्रवाल और सदस्य एम श्रीषा ने जिला उपभोक्ता मंच और दिल्ली राज्य आयोग के फैसले से असहमति व्यक्त की। दोनों अदालतों ने इस आधार पर याची की शिकायत पर गौर नहीं किया था कि घटना बैंक शाखा से बाहर हुई। एनसीडीआरसी ने कहा कि उपभोक्ता आयोग का यह कहना कि जटिल कानूनी सवालों का जवाब उपभोक्ता अदालत में नहीं, बल्कि सिविल कोर्ट में मिलेगा। इसलिए उपभोक्ता को सिविल कोर्ट में दावा दायर करना चाहिए।

राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि एनसीडीआरसी के मुखिया सुप्रीम कोर्ट के रिटार्यड जज और राज्य आयोग की अध्यक्षता हाई कोर्ट के रिटार्यड जज को इसीलिए सौंपी गई है कि पेंचीदा कानूनी सवालों को सुलझाया जा सके। दूसरे, आपराधिक मुकदमा अपनी रफ्तार से चलता रहेगा। फौजदारी मुकदमा दर्ज होने का यह मतलब नहीं है कि बैंक का ग्राहक उपभोक्ता अदालत में मुआवजे का दावा दायर नहीं कर सकता। मौजूदा मामले में कोतवाली पुलिस ने आईपीसी 379/341 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। उत्तरी दिल्ली जिला पुलिस अपनी जांच के आधार पर अदालत में मुकदमे को आगे बढ़ाएगी।
राष्ट्रीय आयोग ने भी मामले की जटिलता को समझते हुए वकील मल्लिका चौधरी को न्याय मित्र नियुक्त किया। वकील ने भी कहा कि शाखा के अंदर चोरी के लिए बैंक जिम्मेदार है। बैंक शाखा के अंदर सुरक्षा प्रदान करना सर्विस का ही हिस्सा है। आयोग ने एसबीआई से कहा कि वह चार हफ्ते के अंदर मुआवजे की रकम का भुगतान करे।

विवेक वार्ष्णेय/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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