रेपो दर में कटौती का हर तरफ स्वागत

Last Updated 04 Oct 2019 04:37:52 PM IST

देशभर के उद्योग संगठनों ने ने भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो दर में कटौती का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि इससे वित्तीय मजबूती बढ़ेगी और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा तथा उपभोक्ताओं के भरोसे में वृद्धि होगी।


भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ (फिक्की) ने रेपो दर में कटौती का स्वागत करते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक ने आर्थिक विकास दर तेज करने पर जोर दिया है। फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि वित्तीय और मौद्रिक नीतियों एक साथ होने से आर्थिक विकास दर का तेज होना तय है। अर्थव्यवस्था को गति देने के सरकार के उपायों के बाद रिजर्व बैंक के कदम से बाजार में मांग बढ़ेगी और औद्योगिक उत्पादन रफ्तार पकड़ेगा। 
पीएचडी चैंबर्स आफ कॉमर्स के अध्यक्ष डी के अग्रवाल ने कहा कि रेपो दर में कमी आने से बाजार में मांग में वृद्धि होगी। ब्याज दरों में कटौती होने से पूंजी की लागत में कमी आयेगी और उद्योगों को आसानी से पूंजी मिल सकेगी। बैंकों को तत्परता से कदम उठाने होने होंगे।

भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य मंडल (एसोचैम) के अध्यक्ष बी के गोयनका ने कहा कि रिजर्व बैंक के रेपो दर में कटौती करने से अर्थव्यवस्था की मंदी को थामने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि रेपो दर में अभी भी कटौती की गुंजाइश है लेकिन मौजूदा कटौती को जमीनी स्तर पर पहुंचाया जाना चाहिए। 

भारतीय निर्यातक महासंघ (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ  ने कहा कि रिजर्व बैंक की घोषणा से वित्तीय मजबूती लाने के सरकार के  प्रयासों को बल मिलेगा। उन्होंने सरकार से अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए घोषित किये गये  उपायों को शीघ क्रियान्वित करने की अपील की जिससे उद्योगों को इनका लाभ  मिल सके।

उन्होंने कहा कि रेपो दर में कटौती करने से घरेलू और विदेशी निवेश  को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने बैंकों से भी ब्याज दरें घटाने का  अनुरोध किया।

इंजीनियरिंग उत्पाद निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष रवि सहगल ने कहा कि रेपो दर में कटौती स्वागत योज्ञ है लेकिन अभी इसमें बहुत गुंजाइश है। निर्यातकों के लिए सस्ती पूंजी उपलब्ध करायी जानी चाहिए जिससे बाजार में मांग पैदा हो सके। रिजर्व बैंक के कम से कम ब्याज दर सुनिश्चित करनी चाहिए।

 वहीं संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाले विशेषज्ञों ने शुक्रवार को यह प्रतिक्रिया दी कि नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती से निवेशकों की धारणा मजबूत होगी और त्योहारी मौसम में घरों की बिक्री बढेगी।

 हालांकि उनका कहना है कि रिजर्व बैंक को इस बार की कटौती तथा इससे पहले की कटौतियां का लाभ घर खरीदारों तक पहुंचना सुनिश्चित करना चाहिये। 

रियल्टी कंपनियों के मंच नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि रेपो दर में कटौती आर्थिक वृद्धि को गति देने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने और उपभोग एवं निवेश बढाने पर केंद्रित है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो दर को ब्याज दर से जोड़ने का निर्णय लिया। इससे घर खरीदारों को मदद मिलेगी और उनका ईएमआई कम होगा।

एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘‘उपभोक्ता एफएमसीजी से लेकर वाहनों तक और निश्चित ही रीयल एस्टेट में भी कम खर्च कर रहे हैं। स्वाभाविक है कि रियल्टी क्षेत्र को रिजर्व बैंक से नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद थी ताकि उपभोक्ताओं की धारणा को बल देने के लिये सरकार द्वारा किये गये उपायों को समर्थन मिले। हालांकि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि नीतिगत दर में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे।’’  

सीबीआरई इंडिया के चेयरमैन एवं सीईओ अंशुमन मैगजीन ने कहा, ‘‘रेपो दर में कटौती का समय महत्वपूर्ण है। ऐसा अनुमान है कि त्योहारी मौसम में घरों की बिक्री में सुधार होगा। रिजर्व बैंक ने अपना काम कर दिया है। अब जिम्मेदारी बैंकों की है।’’      
जेएलएल इंडिया के सीईओ एवं देश प्रमुख रमेश नायर ने कहा, ‘‘रेपो दर में लगातार कटौती रीयल एस्टेट के लिये उत्साहवर्धक है। यह घर खरीदने के लिये सबसे शानदार समय हो गया है।’’     
हाउसिंग डॉट कॉम और प्रॉप टाइगर के समूह मुख्य कार्यकारी अधिकारी ध्रुव अग्रवाल ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती का यह निर्णय रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिये हर्ष का विषय है जो कि पहले ही त्योहारी मौसम में बिक्री में सुधार की उम्मीद कर रहा था।’’

 पैराडाइम रियल्टी के प्रबंध निदेशक पार्थ मेहता ने कहा है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच देश की अर्थव्यवस्था में इस समय दिख रही नरमी को दूर करने में घरेलू मांग को प्रोत्साहित करना सबसे जरूरी उपाय है।

उन्होंने रपो दर में लगातार पांचवी कटौती का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि इससे कर्ज सस्ता होगा और घरेलू उपभोग्ता मांग में तेजी आएगी।      
मेहता के अनुसार मुद्रास्फीति की नरमी को देखते हुए रेपो में अभी और कमी की गुंजाइश है।

 

भाषा/वार्ता
नयी दिल्ली


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