रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6 प्रतिशत पर कायम रखा, वृद्धि दर का अनुमान घटाया, मुद्रास्फीति का बढाया

Last Updated 07 Feb 2018 03:15:51 PM IST

रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने बढ़ती महँगाई के डर से नीतिगत ब्याज दरों को यथावत बनाये रखा है.


आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल

मुद्रास्फीति की चिंता में भारतीय रिजर्व बैंक ने आज लगातार तीसरी बार द्वैमासिक समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर (रेपो रेट) को छह प्रतिशत पर कायम रखा है. केंद्रीय बैंक ने राजकोषीय घाटा के जोखिमों को लेकर भी चिंता जताई है.

रेपो रेट वह दर है जिसपर केंद्रीय बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंक को फौरी जरूरत के लिए उधार देता है. रिवर्स रेपो र्द जिस दर पर बैंक बैंकों से फौरी उधार लेता है को भी 5.75 प्रतिशत पर कायम रखा गया है.

रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इससे पहले पिछले साल अगस्त में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत किया था. यह इसका छह साल का निचला स्तर है. उसके बाद से केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दर में बदलाव नहीं किया है.

छह सदस्यीय एमपीसी ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति का परिदृश्य कई अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है. राज्यों द्वारा सातवें वेतन आयोग के वियान्वयन, कच्चे तेल के ऊंचे दाम, सीमा शुल्क में बढोतरी तथा 2017-18 में राजकोषीय घाटा लक्ष्य से अधिक यानी 3.5 प्रतिशत रहने के अनुमान और अगले वित्त वर्ष के लिए ऊंचे लक्ष्य से मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बना हुआ है.’’

केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘आम बजट में राजकोषीय घाटा लक्ष्य से अधिक रहने का अनुमान लगाया गया है. इसका मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर असर पडेगा. महंगाई पर इसका सीधा प्रभाव तो पडेगा ही, साथ ही राजकोषीय मोच्रे पर चूक के वृहद वित्तीय प्रभाव होंगे. विशेषरूप से अर्थव्यवस्था के स्तर पर ऋण की लागत बढेगी. इसमें पहले ही वृद्धि शुरू हो गई है.’’

रिजर्व बैंक ने हालांकि कहा कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढोतरी के मुद्रास्फीति पर पडने वाले असर का अभी आकलन करना मुश्किल है.

रिजर्व बैंक ने 2017-18 की चौथी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया है. अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसके 5.1 से 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि, अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति के घटकर 4.5 से 4.6 प्रतिशत पर आने का अनुमान लगाया गया है.



एमपीसी ने कहा कि सकारात्मक पक्ष यह है कि कमजोर क्षमता इस्तेमाल तथा ग्रामीण वेतन में धीमी वृद्धि जैसे कारकों का प्रभाव कम हो रहा है. आम बजट 2018-19 में ग्रामीण और बुनियादी ढांचा खर्च पर ध्यान दिया गया है, जो स्वागतयोग्य है.

रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है. पहले उसने वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.

रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल सहित एमपीसी के पांच सदस्यों ने ब्याज दरों के मोच्रे पर यथास्थिति कायम रखने के पक्ष में मत दिया. वहीं कार्यकारी निदेशक माइकल पात्रा एकमात्र
सदस्य रहे जिन्होंने नीतिगत दर में बढोतरी के पक्ष में मत दिया.

वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढाव के संदर्भ में रिजर्व बैंक ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति में सामान्यीकरण की रफ्तार को लेकर अनिश्चितता इसकी प्रमुख
वजह है.

ज्यादातर विश्लेषक उम्मीद कर रहे थे कि केंद्रीय बैंक दरों में बदलाव नहीं करेगा जबकि मुद्रास्फीति को लेकर उसकी टिप्पणी सख्त रहेगी.

दिसंबर में मुद्रास्फीति बढकर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है जो इससे पिछले महीने 5 प्रतिशत रही थी. रिजर्व बैंक का लक्ष्य मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर (दो प्रतिशत अंक ऊपर या नीचे) रखने का है.

पिछली मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढाकर 4.3 से 4.7 प्रतिशत कर दिया था.

केंद्रीय बैंक का मानना है कि ईंधन कीमतों में वृद्धि, अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढोतरी और राजकोषीय घाटे में बढोतरी जैसे कारकों से मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने का जोखिम है.

आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी वियान्वयन के दोहरे झटके का प्रभाव कम हो रहा है. सरकार ने 2018-19 में वृद्धि दर 7 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.

आरबीआई की छठी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक की मुख्य बातें

आरबीआई की छठी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक की मुख्य बातें निम्नलिखित रहीं:
 

  • रेपो दर छह प्रतिशत पर अपरिवर्तित.
  • रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत और नकद ऋण की सीमांत स्थायी सुविधा दर और -बैंक दर 6.25 प्रतिशत.
  • आरबीआई का नीतिगत रुख तटस्थ.
  • कच्चे तेल के दामों में उछाल का उपभोक्ताओं पर असर देर से डालने के कारण जनवरी में पेट्रोल-डीजल के दाम तेजी से बढे.
  • चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत , अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 5.1-5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान.
  • वर्ष 2017-18 में के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.7 से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया गया, अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत संभव.
  • जीएसटी प्रणाली में स्थिरता आ रही है, अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है.
  • निवेश में सुधार के प्रारंभिक संकेत.
  • बैंक पुनपरूंजीकरण, दिवाला कानून लागू होने से बैंकों की ओर से ऋण सहायता में वृद्धि संभव.
  • वैश्विक बाजर में सुधार से निर्यात तेज होने की उम्मीद.
  • बजट में ग्रामीण एवं ढांचागत संरचना पर जोर स्वागतयोग्य.
  • मौद्रिक नीति समिति के पांच सदस्यों रेपो दर स्थिर रखने के पक्ष में, एक 0.25 प्रतिशत बढाने के पक्ष में थे.
  • समित की अगली बैठक चार-पांच अप्रैल को.

 

भाषा


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