शेयर बाजार की गिरावट ब्लैकमेलिंग

Last Updated 04 Feb 2018 01:17:27 AM IST

गत शुक्रवार को शेयर बाजार में आये भूचाल को सरकार सोची-समझी और ब्लैकमेल करने की रणनीति मान रही है.




शेयर बाजार की गिरावट ब्लैकमेलिंग

सरकार का कहना है कि 36 हजारी सेंसेक्स में यदि गिरकर 30 हजार पर आ जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता. पहली फरवरी को पेश आम बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शेयरों में निवेश से होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 10 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया था. यह कर एक लाख रुपए से अधिक के लाभ पर होगा.
क्या हुआ था शेयर बाजार में : बजट के अगले दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट आई. निवेशकों की भारी बिकवाली से बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक 839.91 अंक यानी 2.34 प्रतिशत टूटकर 35,066.75 अंक पर बंद हुआ. घबराए निवेशकों ने अपनी होंिल्डंग की बिकवाली की. 24 अगस्त 2015 के बाद बाजार में यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट रही. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का व्यापक आधार वाला निफ्टी भी 256.30 अंक यानी 2.33 प्रतिशत गिरकर 10,800 अंक से नीचे फिसलता हुआ 10,760.60 अंक पर बंद हुआ.
शेयर बाजार में नहीं लगता था टैक्स : दरअसल केवल शेयर बाजार ही अकेला बचा है जिसमें निवेश करने पर मिले लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगता. बाकी सभी योजनाओं पर किसी न किसी रूप में टैक्स लगाया जाता है.

दूसरे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना चाहती है सरकार : इसलिए सरकार ने एक लाखरुपए से अधिक के पूंजीगत लाभ कर लगाया. सरकार चाहती है कि दूसरे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिले. अगर समान अवसर नहीं होंगे तो निवेशक ज्यादा लाभ के लिए शेयर बाजार की तरफ भागेगा. अब टैक्स लगने के बाद निवेश दूसरे विकल्पों की ओर भी जाएगा.
सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश : बड़े कारपोरेट घरानों के हितों को जब ठेस पंहुचती है तो वे बनावटी खरीद फरोख्त करा बाजार में हाहाकार मचवा सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं. पी चिदंम्बरम ने वित्तमंत्री रहते हुए मॉरीशस रूट से आने वाले निवेश पर सेवाकर लगाया था तो शेयर बाजार में तबाही मच गई थी और उन्हें अपने प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा था. इस बार भी केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए शेयर बाजार टूटा लेकिन मोदी सरकार ने इसको तवज्जो नहीं दी.

लाभ कमाने वाले हैं ज्यादातर बड़े खिलाड़ी
एक अध्ययन के मुताबिक शेयर बाजार में बड़े निवेश करने वालों में बड़े कारपोरेट घराने, ट्रस्ट और पार्टनरशिप फर्म शामिल हैं. पिछले साल 3.67 लाख रुपए का दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ अर्जित किया गया. इससें ज्यादा लाभ कारपोरेट घरानों, पार्टनरशिप फर्म और ट्रस्ट वालों ने कमाया. लाभ कमाने वाले व्यक्तिगत निवेशकों की संख्या कम है और उनका निवेश भी कम है. बड़े खिलाड़ी शेयर बाजार से ज्यादा मुनाफा मिलने के कारण वे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में धन लगाने के बजाए शेयर में लगाते हैं.

रोशन
सहारा न्यूज ब्यूरो


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