चिप्स, बिस्कुट की पैकिंग में इस्तेमाल प्लास्टिक से बनेगी बिजली

Last Updated 26 Dec 2017 05:52:32 AM IST

चिप्स, बिस्कुट, केक और चाकलेट जैसे खाद्य पदार्थों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले चमकीले प्लास्टिक का इस्तेमाल अब बिजली घर में ईधन के तौर पर किया जाएगा.


चिप्स, बिस्कुट की पैकिंग में इस्तेमाल प्लास्टिक से बनेगी बिजली

देश में अपनी तरह का ऐसा पहला प्रयोग यहां गाजीपुर स्थित कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्र में शुरू हो गया है जबकि चंडीगढ़, मुंबई व देहरादून सहित आठ और शहरों में भी यह काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है.
गैर- सरकारी संगठन भारतीय प्रदूषण नियंत्रण संस्थान (आईपीसीए) के निदेशक आशीष जैन ने बताया कि इस तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल यहां गाजीपुर स्थित बिजलीघर में किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया में सबसे अधिक प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल होता है, इस लिहाज से इस तरह के प्लास्टिक के निस्तारण की शुरुआत महत्वपूर्ण है. उल्लेखनीय है कि बिस्कुट, नमकीन, केक, चिप्स सहित कई अन्य खाद्य पदाथरे की पैकेजिंग के लिए एक विशेष चमकीले प्लास्टिक मल्टी लेर्यड प्लास्टिक (एमएलपी) का इस्तेमाल होता है. इस प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ तो सुरक्षित रहते हैं लेकिन इसका निपटान टेढ़ी खीर है. यह न तो गलता है और न ही नष्ट होता है. इसलिए ऐसा एमएलपी कचरा दिन ब दिन बड़ी समस्या बनता जा रहा है.
कूड़ा बीनने वाले भी इसे नहीं उठाते क्योंकि इसका आगे इस्तेमाल नहीं होता है. आईपीसीए ने ऐसे नान-रिसाइक्लेिबल प्लास्टिक कूड़े को एकत्रित करने और उसे बिजली घर तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. दिल्ली एनसीआर में यह संस्थान इस तरह के 6-7 टन प्लास्टिक को एकत्रित कर बिजली घर तक पहुंचा रहा है.

जैन ने कहा कि मानव स्वास्थ्य व पारिस्थितिकी को हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए आईपीसीए ने ऐसे प्लास्टिक कचरे के समुचित संग्रहण और निपटान की एक परियोजना  वीकेयर शुरू की है. यह परियोजना मुख्य रूप से एमएलपी कचरे के निपटान पर केंद्रित है. पेप्सीको इंडिया, नेस्ले, डाबर, परफैटी वान मेले प्रा. लि़ व धर्मपाल सत्यपाल जैसी प्रमुख कंपनियां इस परियोजना को चलाने में मदद के लिये आगे आई. उन्होंने बताया कि गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद, चंडीगढ़, मुंबई व देहरादून में भी इस तरह के संयंत्र लगाने की कोशिश है. इसके लिए स्थानीय निकायों व विभिन्न कंपनियों से बातचीत चल रही है और अगले कुछ दिनों में इन शहरों में भी कोई पहल हो सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि शहरीकरण व बदलती जीवन शैली के चलते प्लास्टिक व इसके विभिन्न उत्पादों का उपयोग बढ़ा तो इससे पैदा होने वाले कचरा भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है. एक अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले देशों में से एक भारत में हर दिन 25,490 टन (2011-12) प्लास्टिक कचरा निकलता है.

भाषा


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