रिजर्व बैंक ने किया मौद्रिक नीति का ऐलान, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

Last Updated 06 Dec 2017 02:45:30 PM IST

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक में आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.


फाइल फोटो

मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे में बढोतरी के जोखिम के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने आज जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में  अपनी प्रमुख व्याज दर को ज्यों का त्यों बरकार रखा. केन्द्रीय बैंक ने वित्त वर्ष के अंत तक के लिए मुद्रास्फीति के अपने पिछले अनुमानों को बढ़ाकर 4.3-4.7 प्रतिशत के दायरे में कर दिया है.
          
रिजर्व बैंक के गवर्नर  उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा में आज मुख्य नीतिगत दर रेपो को 6 प्रतिशत पर यथावत रखा. रिवर्स रेपो दर भी 5.75 प्रतिशत पर ही रखी गयी है. रेपो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को तात्कालिक जरूरत के लिए नकद ऋण सुलभ करता है. रिवर्स रेपो वह दर है जिस पर वह बैंकों से अल्पकालिक नकदी लेता है.
          
रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसने महंगाई दर पर अंकुश के अपने मध्यकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत ब्याज दर में बदलाव नहीं करने का निर्णय किया है.  बैंक का लक्ष्य वृद्धि को समर्थन देते हुये खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखना है. इसमें कुछ समय के लिए हद से हद दो प्रतिशत घट-बढ़ सहन किया जा सकता है. 
          
केन्द्रीय बैंक ने हालांकि, चालू वित्त वर्ष के अपने आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है लेकिन तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को पहले के 4.2-4.6 से बढ़ाकर 4.3-4.7 प्रतिशत कर दिया.
           
रिजर्व बैंक ने इससे पहले अगस्त में मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था. रिवर्स रेपो दर भी तब इतनी ही घटकर 5.75 प्रतिशत कर दी गई थी.

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2016-17) के लिए 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि जोखिम समान रूप से संतुलित हैं.

 

वित्त वर्ष 2017-18 में मौद्रिक नीति की पांचवीं द्विमासिक समीक्षा में कहा कि दूसरी तिमाही की वृद्धि दर अक्तूबर की समीक्षा में लगाए गए अनुमान से कम है. कच्चे तेल की कीमतों में हालिया वृद्धि से कंपनियों के मार्जिन और सकल मूल्यवर्धित (जीवीए) वृद्धि दर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

केंद्रीय बैंक ने अक्तूबर की समीक्षा में 2017-18 के लिए जीवीए वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. इससे कायम रखा गया है क्योंकि जोखिम समान रूप से संतुलित हैं.

समीक्षा में कहा गया है कि खरीफ उत्पादन और रबी की बुवाई में कमी से कृषि क्षेत्र के परिदृश्य के नीचे की ओर जाने का जोखिम है. यदि सकारात्मक पक्ष देखा जाए तो हालिया महीनों में ऋण की वृद्धि दर कुछ तेज हुई है. इसमें कहा गया है कि इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुन: पूंजीकरण से भी ऋण का प्रवाह बढ़ेगा.

रीयल एस्टेट जैसे सेवा क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों में कमजोरी देखी जा रही है. समीक्षा में कहा गया है कि सेवा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र चौथी तिमाही में मांग, वित्तीय स्थितियों तथा कुल कारोबारी परिस्थितियों में सुधार की उम्मीद कर रहा है.

केंद्रीय बैंक ने उम्मीद के अनुरूप महत्वपूर्ण नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया है, लेकिन चालू वित्त वर्ष के शेष बचे समय के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 4.3 से 4.7 प्रतिशत कर दिया है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति :एमपीसी: ने रेपो दर को छह प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो दर को 5.75 प्रतिशत पर कायम रखा है.

 

भाषा/समयलाइव डेस्क


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