किसी पूंजीपति का ऋण माफ नहीं किया: जेटली

Last Updated 28 Nov 2017 07:16:32 PM IST

जेटली ने साफ साफ शब्दों में कहा कि जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले एक भी पूंजीपति का ऋण माफ नहीं किया गया है बल्कि 12 बड़े डिफाल्टरों से 1.75 लाख करोड़ रुपये की वसूली की प्रक्रिया शुरू की गयी है.


वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाईल फोटो)

पूंजीपतियों के ऋण माफ किये जाने के संबंध में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक गलियारे में जारी बयानबाजी के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले एक भी पूंजीपति का ऋण माफ नहीं किया गया है बल्कि 12 बड़े डिफाल्टरों से 1.75 लाख करोड़ रुपये की वसूली की प्रक्रिया शुरू की गयी है. गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे को उठाये जाने के बाद वित्त मंत्री ने इस पर एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने बड़े पूंजीपतियों के ऋण माफ किये जाने का पुरजोर खंडन करते हुये बैंक ऋण के संबंध में आंकड़े दिये हैं. उन्होंने लिखा है कि वर्ष 2008 से 2014 के दौरान सरकारी बैंकों ने कई उद्योग को बड़े पैमाने पर ऋण दिया था. उन्होंने कहा है कि लोगों को यह पूछने की जरूरत है कि ये ऋण किसके दबाव में दिये गये थे और कर्जदारों ने कब से ऋण और ब्याज का भुगतान करना बंद किया था. इस संबंध में सरकार ने क्या निर्णय लिये थे.
      
उन्होंने लिखा है कि इस संबंध में कोई निर्णय लेने की बजाय तत्कालीन सरकार ने बैंक के ऋण वर्गीकरण के जरिये इन कर्जदारों को गैर एनपीए खाताधारक श्रेणी में डालकर राहत दी थी. इसके जरिये ऋण का पुनर्गठन किया गया और बैंकों को हुये नुकसान को छुपाया गया. इसके बावजूद बैंक इन कर्जदारों को ऋण देता रहा.


       
जेटली ने लिखा है कि वर्तमान सरकार ने इस साठगांठ का पता लगाया और डिफाल्टरों के संबंध में कड़े निर्णय लिये. दिवालिया एवं दिवालियापन कानून बनाया गया और यह निर्णय लिया गया कि जिन कंपनियों ने बैंक के पैसे नहीं लौटाये हैं उनके कर्जदार उन कंपनी के कारोबार में सहभागी नहीं होंगे.
        
उन्होंने लिखा है कि इसके साथ ही बैंकों को आवश्यक पूंजी दी गयी है ताकि सरकारी बैंक मजबूती से देश के विकास में भागीदार बने रहे. पूंजी देने का मुख्य उद्देश्य सरकारी बैंकों को मजबूत बनाया है न की मजबूर. उन्होंने लिखा है कि सरकारी बैंकों को वर्ष 2010-11 से लेकर 2013-14 के दौरान भी सरकार ने 44 हजार करोड़ रुपये की पूंजी दी थी. उन्होंने इस पर सवाल किया है कि क्या यह राशि ऋण माफ करने के लिए दी गयी थी.

वार्ता


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