नोटबंदी का असर अनुमानित दायरे में, मध्यम से दीर्घकाल में मिलेगा फायदा: जेटली
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि नोटबंदी का असर अनुमान के अनुरूप ही रहा है और इस दौरान बैंकों में भारी मात्रा में जमा नकदी से इसको लेकर गुमनामी समाप्त हुई और देनदारी तय करने में मदद मिली.
वित्त मंत्री अरूण जेटली |
जेटली ने यह बात रिजर्व बैंक के यह कहने के एक दिन बाद कही है कि चलन से हटाये गये 15.44 लाख करोड़ रूपये के करीब करीब सभी नोट बैंकों में लौट आये हैं.
वित्त मंत्री ने यहां इकोनोमिस्ट सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि 500 और 1,000 रtपये के नोटों को चलन से हटाने के फैसले का असर जैसा अनुमान था उसी के अनुरूप रहा है. इससे आथर्कि गतिविधियों पर एक से लेकर तीन तिमाहियों तक असर पड़ने का अनुमान था लेकिन मध्यम से लेकर दीर्घकाल में अनौपचारिक कारोबार के औपचारिक गतिविधियों में बदलने से अर्थव्यवस्था को इसका लाभ मिलेगा.,
रिजर्व बैंक जो कि अब तक चलन से हटाये गये नोटों के बारे में आंकड़े देने से कतरा रहा था, ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि आठ नवंबर के बाद से 15.28 लाख करोड़ रपये के पुराने नोट बैंकों में लौट आये हैं. यह राशि चलन में रहे कुल नोटों का 99 प्रतिशत तक है.
जेटली ने कहा कि नोटबंदी से हुई परेशानी के बावजूद पूरा देश इस बदलाव के लिये तैयार था. उन्होंने कहा, कोई यह नहीं कह रहा कि कालाधन पूरी तरह से समाप्त हो गया है. अभी भी कुछ लोग हो सकते हैं जो इस तरह से लेनदेन कर रहे हैं. लेकिन मेरा मानना है कि काफी बड़ी राशि लौटी है.
नोटबंदी की वजह से रिजर्व बैंक को नये नोट छापने पर काफी खर्च करना पड़ा जिसकी वजह से उसका मुनाफा कम हुआ है. वित्त मंत्री ने इस तरह की बात को संकीर्ण नजरिया बताया.
वित्त मंत्री ने कहा, शुरूआत में जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, तब इसको लेकर कुछ अनिश्चितता का भाव था. दुनिया में इस तरह के ज्यादा प्रयोग नहीं हुये हैं इसलिये यह स्वाभाविक था कि इसको लेकर तरह तरह की अटकलें लगीं कि कितना धन वापस आयेगा.
सरकार ने पिछले साल जिन 500 और 1,000 रपये के नोट को बंद किया तब उनका कुल चलन में रही मुद्रा में 86 प्रतिशत तक हिस्सा था. लोगों को इन नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिये 50 दिन का समय दिया गया. नोटबंदी प्रक्यिा जैसे जैसे आगे बढ़ी और नकदी बैंकों में जमा होने लगी, यह स्पष्ट हो गया था कि लोगों को जैसे भी हो यह धन बैंकिंग तंत्र में जमा कराने का जरिया मिल गया. उन्होंने यह भविष्य में छोड़ दिया की इसके परिणाम क्या होंगे.
जेटली ने कहा, यह स्पष्ट है कि बड़ी मात्रा में धन बैंकिंग तंत्र में पहुंच गया. यह ऐसा कुछ नहीं है था जिससे सरकार को कोई बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ा हो. उन्होंने कहा, लेकिन यह समझने की बात है कि जो धन बैंकिंग पण्राली में आया है इसका यह मतलब नहीं है कि वह वैध धन है या यह धन वैध बन गया है.
नकद धन को बैंक खातों में जमा करने से इस धन को लेकर जो गुमनामी थी वह समाप्त हो गई.
उन्होंने कहा, बैंकिंग तंत्र में जो धन प्रवाह हो रहा था उसको लेकर जो गुमनामी थी वह समाप्त हो गई. उस धन के मालिक की पहचान हो गई और उसके बाद उस धन को लेकर उसकी जवाबदेही भी तय हो गई.
जेटली ने कहा कि नोटबंदी का प्रभाव उम्मीद के अनुरूप ही रहा. ज्यादा से ज्यादा लोग अब कर दायरे में आने को मजबूर हुये हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी देश के लिये अच्छी रही है, जेटली ने कहा कि यह भारतीय नागरिकों के लिये अच्छी रही है क्योंकि वे एक ऐसी
अर्थव्यवस्था में जो कि दुनिया में तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है उसमें चलन में इस्तेमाल धन का रंग अलग अलग तरह का हो, अनिश्चिचत काल तक ऐसी स्थिति में नही रह सकते.
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