हड़ताल से प्रभावित हुआ सार्वजनिक बैंकों का कामकाज

Last Updated 22 Aug 2017 11:24:44 AM IST

बैंकों के विलय का विरोध एवं अन्य मांगों को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी आज हड़ताल पर रहे जिससे सामान्य बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हुई.


हड़ताल से प्रभावित हुआ बैंकों का कामकाज (फाइल फोटो)

बैंकों के निजीकरण और विलय के खिलाफ तथा बैंकों में सभी पदों पर भर्ती, अनुकंपा आधार पर नियुक्ति एवं नोटबंदी के दौरान किये गये अतिरिक्त काम के लिए ओवरटाइम दिये जाने जैसी मांगों को लेकर आज सरकारी बैंककर्मियों की देशव्यापी हड़ताल से बैंकिंग सेवायें बुरी तरह प्रभावित हुयी और आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

दिल्ली तथा इसके आस-पास के इलाकों में हड़ताल के कारण राष्ट्रीयकृत बैंकों की सेवायें ठप रहीं और लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ा. इस हड़ताल का आहवान बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संयुक्त संगठन, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने किया है. इसमें कर्मचारियों के पांच और अधिकारियों के चार संगठन शामिल हैं .

देशभर के करीब दस लाख बैंक कर्मचारियों तथा अधिकारियों के हड़ताल पर रहने से पूरे देश में बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हुयी. हड़ताल का असर बिहार में भी देख गया.  कर्मचारी संघों के सह संयोजक एवं बेफी के इकाई अध्यक्ष बी. प्रसाद ने  कहा कि सरकारी बैंकों के निजीकरण एवं विलय पर रोक, कॉरपोरेट ऋणों की वसूली समेत बड़े-बड़े दोषी ऋणियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा समेत नौ मांगों के समर्थन में देश के करीब दस लाख बैंककर्मी हड़ताल पर हैं.

हड़ताली बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने राजधानी पटना में कई जगहों मौर्य लोक कॉम्पलेक्स ,डाक बंगला चौराहा, आकाशवाणी मोड़, इलाहाबाद बैंक चौराहा के समीप प्रदर्शन किया तथा अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाये. पटना समेत राज्य के पूर्णिया ,सहरसा ,किशनगंज ,गया ,गोपालगंज ,समस्तीपुर  ,बेगूसराय,नालंदा, मुंगेर, भागलपुर ,नवादा, शेखपुरा ,आरा समेत सभी जिलों  में बैंक बंद हैं. हड़ताल के कारण कोई समाशोधन का  कार्य नहीं हुआ.
       
यूनियन का कहना है कि करीब 12 लाख करोड़ रुपये की राशि बैंकों से कर्ज ली गयी थी जिसे कॉरपोरेट घरानों ने चुकाया नहीं है और वे इस राशि को बैंकों को खरीदने में इस्तेमाल करने की साजिश कर रहे हैं जिससे साधारण लोगों को सरकारी बैंकों की सेवा से महरूम होना पड़ेगा.


    
बैंक संघों ने उत्तर प्रदेश में करीब चार हजार करोड़ रुपये के लेनदेन प्रभावित होने का दावा किया है. हड़ताल से आम आदमी के साथ- साथ कारोबारियों को भी खासी दिक्कत उठानी पड़ रही है. बैंक ने एटीएम में पर्याप्त पैसा डाल रखा है लेकिन हड़ताल के कारण एटीएम भी तेजी से खाली हो रहे हैं. हड़ताल में आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक शामिल नहीं हैं.     

बैंक आफ बडौदा यूनियन के जोनल सेक्रेटरी संदीप सिंह का कहना है कि बैंकिंग उद्योग की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं पर सरकार नियम बदलने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि खतरनाक स्तर पर जा पहुंचे फंसे कर्ज से निबटने के लिए उचित कदम के बजाए सरकार अलग-अलग कानूनी रास्ते अपनाने में जुटी है जिससे बैकों का बैलेंस शीट साफ तो हो जाएगा, लेकिन इसका बोझ खुद बैंकों को ही उठाना पड़ेगा और वहीं दूसरी ओऱ बैंकों को पर्याप्त पूंजी मुहैया नहीं करायी जा रही.

सिंह ने कहा कि बड़ी कंपनियों के फंसे कर्ज का बोझ आम लोगों पर विभिन्न सेवाओं पर बढ़े हुए सर्विस चार्ज और बचत खाते पर ब्याज में कमी के तौर पर डाला जा रहा है.सरकार का रवैया आम आदमी के हित में नहीं है. सरकार बदलाव के नाम पर अपनी मनमानी नहीं कर सकती . अगर मांगे नहीं मानी गयीं तो और बड़ा आंदोलन किया जायेगा.           

इसी तरह यूएफबीयू के जालंधर संयोजक अमृतलाल ने बताया कि हड़ताल से केवल जालंधर जिले में लगभग सात सौ करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार सार्वजनिक क्षेा के बैंकों को कारपोरेट घरानों को सौंपना चाहती है, जो  पहले ही बैकों का अरबों रुपया कर्ज के रास्ते चूस चुके हैं. उन्होने बताया कि बैंकों का बैड लोन पन्द्रह लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर चुका है. इसके अतिरिक्त पिछले पांच वर्षों में कापरेरेट घरानों का 2,49,927 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाला जा चुका है.

इसी बीच भारतीय स्टेट बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचना दी है कि ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन और ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ फेडरेशन यूएफबीयू का हिस्सा होने के नाते हड़ताल पर हैं जिससे बैंक का कामकाज प्रभावित हो सकता है.

केन्द्रीय श्रम आयुक्त ने बैंक कर्मचारी संघों के फोरम यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की आज आयोजित हड़ताल के लिए बैंक यूनियन और भारतीय बैंक संघ को वार्ता के लिए बुलाया था. इस वार्ता के पटरी से उतरने के कारण ही बैंक यूनियंस ने अपनी  हड़ताल वापस नहीं ली.

उल्लेखनीय है कि यूएफबीयू नौ यूनियनों का प्रमुख निकाय है. इसके तहत ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (आईबीईए) नेशनल आग्रेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और आल इंडिया बैंक आफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी) आती हैं. बैंकिंग क्षेत्र के कुल कारोबार का 75 प्रतिशत 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हिस्से आता है.

 

 

वार्ता


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