नारायण मूर्ति और इंफोसिस बोर्ड आमने-सामने, सिक्का का इस्तीफा, शेयर लुढ़का

Last Updated 18 Aug 2017 10:48:53 AM IST

देश की सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दूसरी बड़ी कंपनी इंफोसिस लिमिटेड के संस्थापक नारायण मूर्ति और कंपनी के निदेशक मंडल के बीच लंबे समय से चल रहा टकराव आज खुलकर सामने आ गया.


विशाल सिक्का (फाइल फोटो)

कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विशाल सिक्का ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसके लिए मूर्ति को जिम्मेदार ठहराते हुये उन पर आरोपों की झड़ी लगा दी.

उन्होंने निदेशक मंडल और एन आर नारायणमूर्ति की अगुवाई में हाई-प्रोफाइल संस्थापकों के बीच कटुता बढ़ने के बीच इस्तीफा दिया है. सिक्का ने कहा कि उन्होंने गलत, आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और व्यक्तिगत हमलों का सामना किया.
  
कंपनी ने बंबई शेयर बाजार को दी सूचना में कहा, इंफोसिस के निदेशक मंडल ने आज हुई बैठक में डॉ. विशाल सिक्का का प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद से इस्तीफा तत्काल प्रभाव स्वीकार कर लिया. 

सिक्का के इस्तीफे के बाद कंपनी का शेयर आज शुरूआती कारोबार में छह प्रतिशत से अधिक लुढ़क गया. इस घोषणा से कंपनी का शेयर कल के बंद भाव के मुकाबले 6.62 प्रतिशत की गिरावट के साथ 958.00 पर आ गया.
      
नेशनल स्टाक एक्सचेंज में यही स्थिति रही. कंपनी का शेयर 1,017.90 पर खुला और कल के बंद भाव के मुकाबले 6.71 प्रतिशत की गिरावट के साथ 952.30 पर पहुंच गया.
         
इंफोसिस के मुख्य परिचालन अधिकारी यू बी प्रवीण को अंतरिम प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाया गया है.
         
कंपनी ने कहा कि निदेशक मंडल ने नये प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी की नियुक्ति के लिये प्रक्रिया शुरू कर दी है.

जर्मनी की आईटी कंपनी सैप के पूर्व कार्यकारी 50 वर्षीय सिक्का को तीन साल पहले 10 अरब डालर की आय वाली इंफोसिस का प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाया गया था. नये प्रबंध निदेशक और सीईओ की नियुक्ति होने तक वह कार्यकारी उपाध्यक्ष रहेंगे.
     
स्थायी तौर पर नियुक्ति 31 मार्च 2018 से पहले होनी है. सिक्का रणनीतिक मामलों पर ध्यान देंगे और सालाना एक डालर वेतन लेंगे.

एक समय भारतीय आईटी की सफलता की कहानी को बखूबी बयां करने वाली इंफोसिस हाल में निदेशक मंडल और संस्थापकों के बीच बढ़ती कटुता से प्रभावित रही है.

संस्थापकों ने कार्यकारियों के वेतन तथा अधिग्रहण जैसे मुद्दों पर कंपनी के खराब कामकाज  का आरोप लगाया.
       
इंफोसिस के निदेशक मंडल को लिखे पत्र में सिक्का ने कहा,  लगातार बाधा और व्यवधान उत्पन्न किये गये जो बाद में बढ़ता हुआ व्यक्तिगत और नकारात्मक हो गया. इसके कारण उन्हें इस्तीफा देने के लिये मजबूर होना पड़ा. 
       
किसी का नाम लिये बिना उन्होंने कहा,   पिछली कई तिमाहियों से झूठे, आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और व्यक्तिगत हमले किये गये. और ये आरोप कई स्वतंत्र जांचकर्ताओं द्वारा बार-बार झूठे साबित हुए. 
       
उन्होंने कहा, लेकिन इसके बावजूद हमले जारी रहे और बदतर होते गये. बहुत से उन लोगों ने इसे बढ़ाया जिनसे हम सभी इस बदलाव में सर्वाधिक समर्थन की उम्मीद करते हैं. 
       
मूर्तितथा अन्य ने सिक्का को दिये गये उच्च वेतन को लेकर सवाल उठाये. साथ ही कुछ पूर्व कार्यकारियों को अलग होने से संबद्ध पैकेज को लेकर भी सवाल खड़े किये गये.
       
साथ ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड तथा यूएस सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को गुमनाम पत्र भेजे गये. इस पत्र में आरोप लगाया गया कि इसाइल स्थित पनाया का अधिग्रहण का मूल्य अधिक था और इंफोसिस के कुछ कार्यकारियों को इस सौदे ये लाभ हो सकता है.
       
हालांकि मामले में स्वतंत्र जांच में निदेशक मंडल को दोष मुक्त करार दिया गया लेकिन मूर्ति ने पूरी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का दबाव बनाया.
       
सिक्का ने कहा कि इस प्रकार के शोरगुल के समाधान में उनके सैकड़ों घंटे बर्बाद हुए और इसीलिए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया.
      
इंफोसिस के निदेशक मंडल ने कहा कि वह प्रबंधन टीम के सदस्यों पर निराधार व्यक्तिगत हमलों से काफी व्यथित है.
      
कंपनी ने एक बयान में कहा, निदेशक मंडल उन आलोचकों की निंदा करता है जिन्होंने झूठे आरोपों को बढ़ावा देने का काम किया. इससे कर्मचारियों के मनोबल को नुकसान पहुंचा और कंपनी के मूल्यवान सीईओ को जाना पड़ा. 

एजेंसिया


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