ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे परियोजना अटकी

Last Updated 14 Aug 2017 06:50:30 AM IST

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के जरिए दिल्ली को जाम से निजात दिलाने की कोशिश को झटका लगा है. भूमि अधिग्रहण के अधिक मुआवजे की मांग के अड़ंगे के कारण परियोजना अटक गई है.


ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे परियोजना अटकी (फाइल फोटो)

परियोजना को अगस्त में पूरी करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब इसके पूरे होने में दो-तीन महीने और लगेंगे. हालांकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण परियोजना को जल्द से जल्द पूरी करने लगा हुआ है.

गौरतबल है कि 4,418 करोड़ की लागत से 135 किलोमीटर की लंबी एक्सेस कंट्रोल वाला ईस्टन पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे बन रहा है. यह एक्सप्रेस-वे कुंडली से शुरू होकर बागवत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, फरीदाबाद होते हुए पलवल तक जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवम्बर 2015 को परियोजना का शिलान्यास किया था और परियोजना को 400 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य दिया था. 23 मई 2016 को परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया था.

किसानों के आंदोलन के कारण 48 दिनों तक काम भी बंद रखा गया था. परियोजना के लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सीधे तौर पर निगरानी कर रहा था. परियोजना को लक्ष्य के मुताबिक पूरा करने के लिए ठेकेदारों की ओर से बड़ी संख्या में इंजीनियरों और श्रमिकों का दल लगा हुआ था. परियोजना में 2100 इंजीनियर और करीब 5200 श्रमिक लगे हुए थे. सभी का लक्ष्य यह था कि 15 अगस्त 2017 तक इसे पूरा कर लिया जाए. लेकिन किसानों के आंदोलन के कारण लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है.

केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने करीब तीन माह पूर्व पलवल और गौतमबुद्धनगर जिलों का दौरा कर परियोजना की प्रगति की समीक्षा की थी. उन्होंने इस बात की घोषणा भी की थी कि जिस तरह से परियोजना का कार्य चल रहा है, उसे हिसाब से इसे 400 दिन में पूरा कर लिया जाएगा. और यह भी कहा था कि 15 अगस्त 2017 को इसका शुभारंभ भी हो जाए.



 इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रालय और एनएचएआई ने परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 135 किलोमीट ईस्टर्न और 135 किलोमीटर वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए सर्वाधिक 7700 करोड़ रुपए खर्च किए गए है. नई भूमि अधिग्रहण नीति के चलते 4100 करोड़ रुपए अधिक मुआवजा भी दिया गया. इसके बावजूद किसानों की मांग पूरी होते नहीं दिख रही है. यहां कि एनएचएआई ने अधिग्रहण के लिए बढ़ी हुई धनराशि के साथ किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की कोशिश है कि किसी भी तरह से इस बाधा को दूर किया जाए ताकि परियोजना के निर्माण की रफ्तार जोर पकड़ सके. यदि बाधा बरकरार रही तो अगस्त की तरह ही अगले दो-तीन महीने में लक्ष्य पूरा करना मुश्किल होगा.

 

 

विनोद श्रीवास्तव


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