अवैध धन को वैध बनाने में फिल्म जगत, बिल्डर और ब्रोकर जांच के घेरे में

Last Updated 13 Aug 2017 04:29:12 PM IST

बाजार नियामक सेबी ने काला धन मामले में कार्यवाई तेज कर दी है. इस मामले में बिल्डर, ब्रोकर और फिल्म क्षेत्र से जुड़ी इकाइयां भी जांच के घेरे में आयी हैं.


(फाइल फोटो)

अवैध धन को वैध बनाने में विभिन्न इकाइयों की भूमिका का पता लगाने के लिये कई जांच एजेंसियां सैकड़ों संदिग्ध मुखौटा कंपनियों की जांच में जुटी हैं.
        
नियामक तथा सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उन 331 सूचीबद्ध इकाइयों को कारण बताओ नोटिस दिया है जिन पर मुखौटा कंपनियों के रूप में धन के लेन देन का काम करने का संदेह है. इसके अलावा 100 गैर-सूचीबद्ध इकाइयों के खिलाफ भी कार्वाई शुरू की गयी है जिन पर अवैध धन को सफेद बनाने के लिये शेयरों में काम करने का संदेह है.
     
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने संदिग्ध मुखौटा कंपनियों के शेयरों में कारोबार पर पाबंदी का निर्णय किया. लेकिन कुछ कंपनियों ने इस मामले को प्रतिभूति एवं अपीलीय न्यायाधिकण (सैट) में चुनौती दी. न्यायाधिकरण ने इन कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया और मामले में जांच आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन्होंने प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं.
         
इनमें से कई कंपनियों ने सार्वजनिक रूप से बयान जारी कर किसी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया और जोर देकर कहा कि वे मुखौटा कंपनियां नहीं हैं. एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मुखौटा कंपनियों की श्रेणी में रखे जाने से गलत धारणा बनी है कि कुछ बड़ी कंपनियां भी मनी लांडिंग तथा अवैध धन को वैध बनाने के लिये मंच उपलब्ध कराकर मुखौटा कंपनी के रूप में काम कर सकती हैं.
        
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कई छोटे ब्रोकर संदिग्ध मुखौटा कंपनियों की सूची में है. उनके बड़े ब्रोकरेज समूह से जुड़ाव की जांच सेबी कर रहा है.
       
उसने कहा कि कुछ ब्रोकरों की भूमिका जांच के घेरे में आने से शेयर बाजार में अफरा-तफरी जैसी स्थिति है. सेबी की 331 कंपनियों के शेयरों के कारोबार पर प्रतिबंध के निर्णय से बाजार में घबराहट बनी हुई है. सेबी के इस कदम से अल्पांश शेयरधारकों के हितों की रक्षा होगी.
        
सेबी के अलावा इन कंपनियों की जांच आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय तथा गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय भी कर रहे हैं.
        
इनमें से कई कंपनियों पर नोटबंदी के बाद नकदी लेन-देन में शामिल होने का भी संदेह है.
        
अधिकारियों ने आधिकारिक दस्तावेज तथा शुरूआती जांच में प्राप्त तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि करीब 500 इकाइयों (सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध) की जांच की जा रही है लेकिन उनमें से कुछ के नाम अभी सार्वजनिक नहीं किये गये हैं. इसका कारण मामले की संवेनशीलता और जांच प्रक्यिा को प्रभावित नहीं करना है.
        
बड़ी संख्या में जिन कंपनियों ने मुखौटा कंपनियों के रूप में काम किया, वे जमीन-जायदाद, जिंस और शेयर ब्रोकिंग, फिल्म और टेलीविजन, प्लांटेंशन और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं से संबद्ध इकाइयों से जुड़ी हैं.


        
संदिग्ध कंपनियों से इन संपकरे और सभी संदिग्ध लेन-देन के बारे में बताने को कहा गया है.
        
पिछले सप्ताह संदिग्ध 331 सूचीबद्ध कंपनियों पर कार्वाई के बाद सेबी ने शेयर बाजारों तथा ब्रोकरों से 107 गैर-सूचीबद्ध इकाइयों के ब्योरे का सत्यापन करने तथा अगर संतोषजनक परिणाम नहीं पाये जाने के बाद कारोबार प्रतिबंधित करने को कहा है.

भाषा


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