एसबीआई का आयकर छूट सीमा बढ़ाने का आग्रह

Last Updated 23 Jan 2017 08:59:02 PM IST

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आगामी केंद्रीय बजट के लिए एक एजेंडा पेश करते हुए आर्थिक विकास को बढ़ाव देने के लिए आयकर छूट सीमा बढ़ाने का सोमवार को आग्रह किया. बैंक ने यह आग्रह ऐसे समय में किया है, जब नोटबंदी के बाद बैंक धनराशि से भरे पड़े हैं.


(फाइल फोटो)

एसबीआई की एक रपट में कहा गया है, "हमें उम्मीद है कि निजी आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.0 लाख रुपये, धारा 80सी के तहत छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये, तथा आवास ऋण पर ब्याज छूट की सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये और बैकों में सावधि जमा पर कर छूट के लिए लॉक-इन अवधि को पांच साल से घटाकर (अगर पूरी तरह नहीं हटाया जाए तो कम से कम) तीन साल कर दिया जाए."

इसमें हाल में 500 रुपये और 1,000 रुपये की नोटबंदी के संदर्भ में कहा गया है, "इन सब छूट को लागू करने की कीमत 35,300 करोड़ रुपये होगी. लेकिन हमें आयकर खुलासा योजना-2 (आईडीएस-2) से जो राजस्व प्राप्ति की उम्मीद है, उससे यह नुकसान संतुलित होने की उम्मीद है."



एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्या कांति घोष और रपट के लेखक का कहना है कि कर छूट से 35,000 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन आईडीएस-2 से 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा. वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक की रद्द देनदारियां 75,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है.

इस रपट में वित्तीय घाटे के बारे में कहा गया है, "सरकार को वित्तीय घाटा का लक्ष्य भी बदलना चाहिए. हमारा अनुमान है कि 2017-18 में यह 5.75 लाख करोड़ रुपये होगी, जो कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.3 फीसदी (बजट का 3.9 फीसदी) है."

आईएएनएस


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