चौधरी चरण सिंह की प्रासंगिकता
चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति के ऐसे नेता थे जिन्होंने किसानों और ग्रामीण भारत की आवाज़ को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में रखा। उनका मानना था कि भारत की असली ताकत गांव और खेतों में बसती है।
![]() चौधरी चरण सिंह की प्रासंगिकता |
आज जब किसान आय, सिंचाई, और बाजार की समस्याओं से जूझ रहे हैं, तब उनकी नीतियां पहले से अधिक सार्थक प्रतीत होती हैं।
चरण सिंह ने कृषि को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना और कहा कि औद्योगिक विकास तभी संभव है जब किसानों की स्थिति मजबूत होगी।
आज आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल जैसे अभियान उसी सोच की आधुनिक व्याख्या हैं।
उन्होंने विदेशी पूंजी पर निर्भरता का विरोध किया और छोटे उद्योगों, स्थानीय उत्पादन व रोजगार को बढ़ावा देने का समर्थन किया।
राजनीतिक दृष्टि से चरण सिंह जनता आधारित लोकतंत्र के पक्षधर थे। वे सत्ता को जनहित से जोड़ने और विकास को नीचे तक पहुंचाने के समर्थक थे। उनका विश्वास था कि जब तक गांव समृद्ध नहीं होंगे, तब तक देश सशक्त नहीं हो सकता।
आज जब कृषि सुधार, ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय की चर्चा फिर से केंद्र में है, चौधरी चरण सिंह की नीतियां और विचार एक बार फिर मार्गदर्शक बनकर उभर रहे हैं। उन्होंने जिस कृषक-कल्याण मॉडल की परिकल्पना की थी, वही वास्तव में भारत के स्थायी विकास की नींव है।
चौधरी चरण सिंह केवल अतीत के नेता नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के भारत के लिए प्रेरणा हैं। उनकी नीतियों को अपनाकर ही देश एक संतुलित, आत्मनिर्भर और न्यायसंगत समाज की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
Tweet![]() |