मॉक ड्रिल का संदेश
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के कई राज्यों को कल 7 मई को व्यापक नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए, के जवाब में कड़ा रुख अपनाए हुए है।
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हालांकि घटना के बाद से ही केंद्र सरकार ने एक के बाद एक कूटनीतिक और आर्थिक फैसले लेकर इस हमले को शह देने वाले पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। लेकिन देश के नागरिक इस हमले से इस कदर गुस्से में हैं कि उसी तरह मुंह तोड़ जवाब देना चाहते हैं जिस तरह पुलवामा और उरी में आतंकवादी घटनाओं के बाद दिया गया था। केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर भारी दबाव है कि माकूल जवाब दे।
जन भावना इस कदर आक्रोशित है कि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेनाओं के पाले में गेंद डालते हुए उन्हें जवाबी कार्रवाई करने की पूरी छूट दे दी थी। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई राज्यों को मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। मॉक ड्रिल आपातकालीन संकट या संकट की स्थिति में अपनी तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता को परखने का प्रभावी तरीका है। इससे सुरक्षा योजनाओं को परखने, उनकी कमी पहचानने और उन्हें सुधारने में मदद मिलती है।
मॉक ड्रिल के जरिए दुनिया को साफ संदेश जाएगा कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत पूरी तैयारी कर रहा है, जो सीमित या पूर्ण युद्ध के रूप में हो सकती है यानी भारत के कूटनीतिक कदम अब युद्ध की रणनीति की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। मॉक ड्रिल के दौरान एयर रेड वार्निग सायरनों का संचालन होगा। नागरिकों को संभावित हमलों की स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक सुरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
क्रैश ब्लैकआउट की व्यवस्था की जाएगी। महत्त्वपूर्ण संयंत्रों और प्रतिष्ठानों की त्वरित कैमुफ्लाजिंग की जाएगी जो राष्ट्रीय संपत्तियों को सुरक्षा के लिए एक मान युद्धकालीन उपाय है। निकासी योजनाओं का अद्यतन और पूर्वाभ्यास होगा जिसके तहत किसी भी आपात स्थिति में नागरिकों को तेजी से सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का अभ्यास किया जाएगा। गृह मंत्रालय के इस निर्णय और हालिया उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठकों ने संकेत दिया है कि भारत पहलगाम हमले के जवाब में सख्त सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर सकता है। कहना होगा कि यही आमजन की भावना है।
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