भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर
पड़ोसी देश बांग्लादेश में फैली व्यापक अशांति और अस्थिरता की वजह से पश्चिम बंगाल के रास्ते होने वाला सीमापार व्यापार मंगलवार को पूरी तरह ठप हो गया।
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देश में हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को इस्तीफा देकर देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। कारोबारी स्थितियों की बेहतरी के लिए माना जाता है कि हालात सहज और शांतिपूर्ण होने चाहिए। और बांग्लादेश यह शर्त अब बाकी रह नहीं गई है, इसलिए बांग्लादेश में कारोबार चौपट हुआ जा रहा है।
पश्चिम बंगाल निर्यातक समन्वय समिति के सचिव उज्ज्वल साहा के मुताबिक, राज्य में भूमि बंदरगाहों के माध्यम से व्यापार बांग्लादेश के सीमा शुल्क विभाग द्वारा माल की निकासी नहीं होने से रुका हुआ है। इसकी वजह से सैकड़ों ट्रक पार्किग स्थल पर खड़े हैं। पश्चिम बंगाल में पेट्रापोल, गोजाडांगा, महादीपुर और फुलवारी में स्थित भूमि बंदरगाहों के जरिए होने वाला भारत-बांग्लादेश व्यापार प्रभावित हुआ है।
बांग्लादेश की तरफ की सीमा शुल्क चौकी पर काम ठन होने से भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि बंदरगाहों पर व्यापार ठप हो गया है। बांग्लादेश भारत का 25वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है। दोनों देशों के बीच 12.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है। इसलिए चिंता इस बात की जताई जा रही है कि दोनों देशों के व्यापार पर बांग्लादेश के हालात का प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
चिंता इसलिए भी है कि भारत एशिया में बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य देश है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में उसने भारत को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया था। हालांकि एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के मुताबिक, बांग्लादेश की उथल-पुथल का दोनों देशों के व्यापार कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
अलबत्ता, उसका यह भी कहना है कि भारतीय निर्यात को बांग्लादेश में घरेलू मांग में कमी का सामना करना पड़ सकता है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार गठित होते ही संभवत: दोनों देशों के बीच व्यापार पटरी पर लौटे।
भारत बांग्लादेश से मछली, प्लास्टिक, चर्म उत्पाद, परिधान आदि का आयात करता है, जबकि बांग्लादेश को सब्जियों, काफी, चाय, मसालों, चीनी, कन्फैक्शनरी, परिशोधित पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, कपास, लोहे और स्टील तथा वाहनों आदि का निर्यात करता है। स्थिति दो-एक दिन में साफ हो जाएगी।
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