रमजान के महीने में भी गाजा में नरसंहार जारी, जरूरी है युद्ध विराम
रमजान के महीने में भी गाजा में नरसंहार जारी है। इस अमानवीय घटनाक्रम से चिंतित होकर अंतत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 25 मार्च को एक प्रस्ताव पारित करके गाजा में युद्ध विराम रोकने की मांग की है।
गाजा में नरसंहार जारी, जरूरी है युद्ध विराम |
प्रस्ताव में सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई और गाजा के युद्ध क्षेत्र में तत्काल राहत सामग्री भेजने का भी उल्लेख है। सात अक्टूबर, 2023 को हमास ने इजराइल पर हमला किया था, उसके बाद से ही इजराइल बदले की कार्रवाई करते हुए गाजा में हजारों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार चुका है।
इस छह महीनों के दौरान विश्व मंचों से युद्ध विराम की मांग की गई लेकिन यह पहला अवसर है जब सुरक्षा परिषद युद्ध विराम का प्रस्ताव पारित करने में सफल हो पाई। यह भी इसलिए संभव हो पाया कि अमेरिका मतदान से अनुपस्थित रहा। इससे पहले वह तीन बार युद्ध विराम के प्रस्ताव पर वीटो लगा चुका था।
इजराइल अमेरिका के इस बदलते रुख से स्तब्ध है। उसने अमेरिका पर यह आरोप लगाया है कि उसने अपने सदाबहार मित्र का साथ छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने वार्ता के लिए अपने प्रतिनिधिमंडल को अमेरिका जाने पर रोक लगा दी है। इससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका और इजराइल के संबंधों में मतभेद की दीवार खड़ी हो गई है।
हालांकि अमेरिका ने अपनी सफाई में कहा है कि हमास को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, और सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव गैर-बाध्यकारी है। अमेरिका चाहे जो कहे, अब इसका कोई असर इजराइल पर नहीं पड़ने वाला है। वास्तव में अमेरिका फिलिस्तीन और इजराइल के बीच जारी युद्ध को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं बना पा रहा है।
एक ओर वह हमास को तबाह करने के लिए इजराइल को सैनिक मदद मुहैया करा रहा है, और दूसरी ओर गाजा में हजारों नागरिकों के मारे जाने पर घड़ियाली आसूं भी बहा रहा है। इस समूचे घटनाक्रम का सबसे दुखद पहलू यह है कि हमास और इजराइल दोनों युद्ध विराम को लेकर अड़ियल रुख अपनाए हुए हैं।
सुरक्षा परिषद द्वारा पारित युद्ध विराम का यह प्रस्ताव दोनों पक्षों ने खारिज कर दिया है। इजराइल इस प्रस्ताव को विभेदकारी बता रहा है, और हमास को यह भरोसा नहीं है कि इजराइल ईमानदारी से युद्ध विराम को लागू करेगा।
इसमें संदेह नहीं है कि गाजा में जारी नरसंहार के कारण इजराइल दुनिया से अगल-थलग पड़ता जा रहा है। इसलिए युद्धरत दोनों पक्षों को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर युद्ध विराम के लिए राजी हो जाना चाहिए।
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