भारत और इंग्लैंड की बदलाव वाली सीरीज
भारतीय टीम ने बैजबॉल को धता बताते हुए इंग्लैंड से 4-1 से टेस्ट सीरीज जीत ली। भारत के लिए इस सीरीज जीतने में सबसे अच्छी बात यह रही कि वह अब टेस्ट क्रिकेट की जिम्मेदारी युवा कंधों पर डालने के लिए तैयार है।
![]() भारत और इंग्लैंड की बदलाव वाली सीरीज |
सबसे अच्छी बात यह रही कि युवाओं ने मुश्किल मौकों पर बेस्ट देकर दिखाया कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। भारत के पहला टेस्ट हैदराबाद में हार जाने और सीरीज में विराट कोहली, केएल राहुल और मोहम्मद शमी जैसे दिग्गजों की अनुपस्थिति में यंग ब्रिगेड सीरीज में वापसी करा पाएगी, इसकी उम्मीद कम ही थी।
पर युवाओं ने जिस तरह मुश्किल हालात में अपना दम दिखाया है, वह काबिल ए तारीफ है। इस सीरीज के दौरान ही श्रेयस अय्यर और ईशान किशन को केंद्रीय अनुबंध से बाहर करने का फैसला हुआ और इस पर विवाद भी खड़ा हुआ। पर बीसीसीआई ने जिस तरह से टेस्ट खेलने वाले क्रिकेटरों को प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया, उससे उनकी इस प्रारूप को महत्त्व देने का पता चलता है।
अब लगता है कि बीसीसीआई की इस घोषणा के बाद आईपीएल खेलने वाले ही नहीं टेस्ट खेलने वाले भी मालामाल हो सकेंगे।
बीसीसीआई की इस स्कीम में यह माना गया है कि भारत आमतौर पर हर साल नौ टेस्ट के आसपास खेलता है। जो भी क्रिकेटर सात या उससे ज्यादा टेस्ट खेलेगा, उसे 15 लाख रुपए मैच फीस के अलावा 45 लाख रुपए प्रति मैच की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इस तरह वह मैच फीस के अलावा 5.4 करोड़ रुपए और कमा सकेगा।
इसी तरह पांच छह टेस्ट खेलने वालों को 30 लाख रुपए प्रति टेस्ट की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। यह देखने वाली बात होगी कि पैसों की यह बारिश युवाओं को कितना आकषिर्त कर पाती है। हां, इतना जरूर है कि सिर्फ टेस्ट पर फोकस करने वाले क्रिकेटरों को मलाल नहीं रहेगा।
इस सीरीज को यशस्वी जायसवाल द्वारा गावस्कर के बाद सीरीज में 700 से ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे भारतीय होने, अश्विन के अपने सौवें टेस्ट को नौ विकेट निकालकर यादगार बनाने और जेम्स एंडरसन को 700 टेस्ट विकेट लेने वाले पहले पेस गेंदबाज बनने के लिए याद किया जाएगा।
सीरीज जीत से भारतीय टीम क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में नंबर एक बन गई है। इसके अलावा विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की अंक तालिका में भी शिखर पर पहुंच गई है।
Tweet![]() |