कैसे भी न जले पराली
पराली और प्रदूषण एक दूसरे के पर्याय हैं वर्षो से। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को घेरे राज्यों में अक्टूबर-नवम्बर में पराली जलती है-पूरी दिल्ली कुहासे के ‘गैस चेम्बर’ में बदल जाती है। वह हांफने-खांसने लगती है।
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विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे व्यक्ति की उम्र में से कम से कम दो साल घट जाते हैं और जो मर्ज बन जाता है, उसके लिए दवा-दारू का बजट बाकी जिंदगी भर के लिए बढ़ जाता है, वह समस्या का एक दारुण विषय है। इससे नागरिकों को बचाने और पराली जनित प्रदूषण को खुद की पहल से रोकने की पहली जवाबदेही जिस राजनीति की और सरकारों की थी, वे अपने हाथ सेंकती रही हैं। यह आज भी केंद्र और राज्यों में समान या विरोधी दल की सरकारों के हिसाब से जारी है, जो सर्वोच्च न्यायालय की आगाह करती टिप्पणियों से जाहिर होता रहता है।
इसने नागरिकों के स्वास्थ्य और उनके जीवन पर विकटता को और बढ़ाने का काम ही किया है। ऐसे परिदृश्य में सर्वोच्च न्यायालय का सालाना हस्तक्षेप एक विवश कवायद है। पर यह उसके सक्रिय नियमनों का ही नतीजा है कि सरकारें इसे लेकर थोड़ी गंभीर और कामकाजी हुई हैं। फिर भी वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्वीकृत मानकों से राजधानी क्षेत्र में पांच गुना से अधिक बने रहना सुधार नहीं कहा जाएगा।
जाहिर है, पंजाब (मुख्य रूप से), हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के खेतों में पराली ही जल रही है। इसलिए न्यायालय ने पराली जलाने के शिनाख्ती किसानों के धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) रोकने और वैकल्पिक फसल की बात कही है। महज 11 दिनों में यह दूसरा नियमन है। पंजाब-हरियाणा में तो खेतों में लगी दो फुट ऊंची पराली के प्रबंधन के लिए महंगी मशीनों की खरीद को उत्साहित करने के लिए किसानों को 80 फीसद तक सब्सिडी दी जा रही है, जुर्माने में उनसे करोड़ों रुपये वसूले गए हैं और केस भी दर्ज हुए हैं।
फिर भी क्या इसमें किसान अकेले ‘खलनायक’ हैं, जो भारी-भरकम आबादी वाली दिल्ली को दमन ‘भट्ठी’ बनाने पर तुले हैं? यह न मान कर अदालत किसानों को सुनना चाहती है। वे बताएंगे कि धान से किसानों की कमाई ज्यादा होती है। इससे भूजल में चिंतनीय स्तर की गिरावट होने और दलहन पर एनएसपी की अधिक राशि दिए जाने के बावजूद। इसके लिए नीति बनानी होगी। अलबत्ता, गरीब किसानों को पराली से निबटने वाली मशीनें फ्री में दी जाएं तो फिजां बदल सकती है। पर पराली प्रदूषण की अकेली वजह नहीं है।
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