केंद्र में गांधी परिवार

Last Updated 22 Aug 2023 12:35:55 PM IST

काग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने अपना पदभार संभालने के करीब 10 महीने बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती (Birth anniversary of former Prime Minister Rajiv Gandhi) पर कार्य समिति का पुनर्गठन किया है।


केंद्र में गांधी परिवार

पार्टी की इस सर्वोच्च नीति-निर्धारक कमेटी की जो तस्वीर सामने आई है, उससे जाहिर होता है कि खरगे ने उदयपुर और रायपुर के चिंतन शिविरों में लिये गए फैसले पर अमल की कोशिश की है, जिनमें नेताओं और कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के लिए नव संकल्प किया गया था। पर उन्हें ज्यों के त्यों जमीन पर उतारना दुरुह कार्य है। लेकिन इनके फैसलों के मुताबिक खरगे ने कार्यसमिति के 39 मुख्य सदस्यों में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिलाओं की संख्या आधी रख कर समाज के कमजोर और उत्पीड़ित वर्गों का विश्वास जीतने का संदेश दिया है।

कार्यसमिति में शशि थरूर को भी जगह मिली है, जो कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में खरगे के खिलाफ खड़े हुए थे। इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बहुत मजबूत है। जी-23 के नाम से मशहूर पार्टी के कुछेक असंतुष्ट नेताओं को भी कार्यसमिति में शामिल करके उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई है। उदयपुर में पार्टी को नए सिरे से खड़ी करने एवं चुनावों में जीत हासिल करने की रूपरेखा बनाई गई थी।

खरगे ने कार्यसमिति में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों के साथ आम चुनाव के राजनीतिक समीकरणों को भी ध्यान में रखा है। राजस्थान में इसी वर्ष चुनाव होने वाले हैं।

वहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनाव अभियान के सर्वेसर्वा बनाया गया हैं तो उनको लगातार चुनौती देने वाले युवा नेता सचिन पायलट को कार्यसमिति में रख कर पार्टी एकता को मजबूत रखने की कोशिश की गई है। छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के प्रमुख एवं प्रभावशाली ओबीसी नेताओं ताम्रध्वज साहू और कमश्वलेर पटेल को कार्यसमिति में रखा गया है।

कांग्रेस ने अपने चिंतन-शिविरों में संगठन के हरेक स्तर पर 50 वर्ष से कम उम्र वालों को 50 फीसद पद देने की बात की थी, पर ऐसा नहीं हो पाया। 39 में से केवल तीन नेता ही 50 से कम उम्र के हैं।

कार्यसमिति में सभी जाति समूहों, युवाओं, बुजुगरे एवं महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के जरिए समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का संकल्प दिखाया गया है। लेकिन गांधी परिवार के तीनों सदस्यों को कार्यसमिति में जगह देकर खरगे ने भाजपा को यह कहने का मौका दे दिया कि पार्टी का रिमोट कंट्रोल गांधी परिवार के पास ही है।



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