भारतीय हॉकी टीम की निगाहें अब गोल्ड पर
भारतीय हॉकी टीम ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीत लिया। इस जीत से टीम का एशियाई खेलों के लिए मनोबल बढ़ेगा, तो मुख्य कोच क्रेग फुलटोन की पहली चैंपियनशिप थी, तो उनका भी भरोसा बढ़ेगा।
![]() निगाहें अब गोल्ड पर |
भारतीय टीम फुलटोन के आने से पहले आक्रामक हॉकी खेलने के लिए जानी जाती थी और इस स्टाइल से खेलकर ही उसने टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद पदक जीता था, लेकिन इसके बाद उम्मीदों पर खरे नहीं उतरने से लगने लगा था कि भारत को खेलने की स्टाइल बदलने की जरूरत है। फुलटोन द्वारा बदली खेलने की स्टाइल की भी इस चैंपियनशिप में परख हो गई है। उन्होंने टीम को पहले डिफेंस और फिर गोल जमाने का प्रयास करने के तौर पर तैयार किया है।
उनकी इस स्टाइल से भारतीय डिफेंस मजबूत हुआ है, यह बात इस चैंपियनशिप में 29 गोल जमाकर सिर्फ आठ गोल खाने से समझी जा सकती है। पर सबसे अहम सवाल यह है कि क्या हम अगले माह चीन के हांगझू में होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने को तैयार हैं। इस चैंपियनशिप में मलेशिया ने जिस तरह से भारत को पहले हाफ में परेशान किया, उससे मन में थोड़े सवाल जरूर उठते हैं। पर इतना तय है कि भारतीय टीम यदि पूरी क्षमता से खेलती है तो एशियाई टीमों में उसे रोकने का माद्दा नहीं है।
वैसे तो मलेशिया के अलावा दक्षिण कोरिया और जापान भी ऐसी टीमें हैं, जो भारत को परेशान कर सकती हैं, लेकिन भारत ने जापान को सेमीफाइनल में और दक्षिण कोरिया को लीग में हराने के दौरान जता दिया कि वह यदि क्षमता से खेले तो इनमें से किसी का भी उसके सामने टिक पाना संभव नहीं है। भारत के लिए एशियाई खेलों का गोल्ड जीतना बेहद जरूरी है। वह इसे जीतकर ही 2024 के पेरिस ओलंपिक का सीधा टिकट कटा सकती है।
भारत यदि एशियाई खेलों में गोल्ड नहीं जीत पाएगा तो उसे ओलंपिक क्वालिफायर में खेलना होगा, जो कि इस बार पाकिस्तान में होगा। स्वभावत: वहां खेलना भारत के लिए मुश्किल होगा। पर भारतीय टीम जिस तरह से खेल रही है, उसके गोल्ड तक पहुंचने में शायद ही कोई दिक्कत हो। पर इसके लिए भारत के स्टार ड्रेग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह का रंगत में होना भी बेहद जरूरी है। इस चैंपियनशिप में भी वह नौ गोल जमाकर अव्वल रहे, पर सफलता को पक्का करने के लिए कम-से-कम दो और ड्रेग फ्लिकरों को पारंगत करने की जरूरत है।
Tweet![]() |