Maharashtra Bhushan-2022 award: लापरवाही ने ली जान
देश के अनेक राज्य इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में हैं। हालत यह हो गई है कि सरकारी कार्यक्रमों तक के आयोजक पूर्वानुमान लगाने में विफल हो रहे हैं या किसी मजबूरी में इन्हें भीषण गर्मी में आयोजित कर रहे हैं, इससे लोगों की जान दांव पर लग रही है।
![]() लापरवाही ने ली जान |
महाराष्ट्र के नवी मुंबई में समाज सुधारक अप्पासाहेब धर्माधिकारी (Appasaheb Dharmadhikari) को ‘महाराष्ट्र भूषण-2022’ पुरस्कार (Maharashtra Bhushan-2022 award) से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान लू से 11 लोगों की मौत हो जाना इसी भयंकर लापरवाही का साक्षात उदाहरण है।
कार्यक्रम में हजारों की संख्या में अप्पा साहेब के समर्थक जुटे थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) खुद समाज सुधारक अप्पासाहेब धर्माधिकारी ((Appasaheb Dharmadhikari)) को पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए पहुंचे थे।
समारोह भीषण गर्मी (ceremony scorching heat) में खुले में आयोजित था। कार्यक्रम सुबह 11.30 बजे से शुरू होकर दोपहर करीब एक बजे तक चला। इस दौरान तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। अप्पासाहेब धर्माधिकारी के शिष्य मुख्यमंत्री शिंदे (CM Eknath Shinde) ने गर्व से घोषणा की थी कि कैसे इस सभा ने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोग 14 अप्रैल से कोंकण और राज्य के अन्य हिस्सों से बसों, ट्रकों या नावों से मुंबई पहुंचना शुरू हो गए थे।
तीन घंटे तक चले समारोह में लोग भीषण गर्मी से बचने के लिए स्कार्फ, टोपी, छाता, रूमाल, दुपट्टा आदि का सहारा ले रहे थे। फलस्वरूव अनेक लोग लू की चपेट में आ गए। मौसम विभाग पहले ही तापमान के बारे में चेतावनी जारी कर देता है, लेकिन जांच का विषय है कि महाराष्ट्र सरकार ने इतने लोगों को खुले में बैठने को क्यों मजबूर किया?
पिछले तीन दशक में सिर्फ भारत में गर्मी से लगभग 26 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। घुटन भरे माहौल में काम करने वाले कारीगर, किसान और निर्माण कार्य में लगे मजदूर गर्मी के सबसे पहले शिकार होते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले कुछ सालों में लू चलना और बहुत ज्यादा तापमान होना आम होता जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन इनकी बारंबारता और तीव्रता को बढ़ा रहा है। इस वर्ष भीषण गर्मी के कारण हुई यह पहली घटना है लेकिन लापरवाहियों के कारण जानें जाना कतई क्षम्य नहीं है। राज्य और केंद्र सरकार को चाहिए कि मामले की गहन जांच कराएं।
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