आफत की बारिश

Last Updated 20 Mar 2023 01:45:57 PM IST

किसानों पर इन दिनों मुसीबतें बरस रही हैं। महाराष्ट्र सहित देश के प्याज और आलू के किसान फसल ज्यादा हो जाने और मंडियों में सही दाम न मिलने के कारण खेती की लागत न निकल पाने से निराश, हताश और दुखी हैं।


आफत की बारिश

अब भारतीय मौसम विभाग ने जो चेतावनी जारी की है, वह किसानों के माथे पर चिंता की गहरी लकीरें डाल देने वाली है। मोैसम विज्ञानियों ने अगले कुछ दिनों तक अचानक बिना मौसम बारिश, भारी ओलावृष्टि और आंधी की संभावना जताई है।

रबी की कटाई के सीजन में ऐसा होने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले हफ्ते के आखिर में  राजस्थान और हरियाणा के कुछ इलाकों में ओले पड़ने से किसानों की सरसों, मटर और गेहूं की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है।

शनिवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में भारी बारिश औरे जोरदार ओलावृष्टि हुई। हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में भी जोरदार बारिश हुई। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सर्दियों में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों जैसे गेहूं, सरसों और मटर की तैयार फैसल को कटाई शुरू होने से ठीक पहले काफी नुकसान पहुंचा है।

मौसम विभाग की चेतावनी है कि देश के मध्य, उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में अगले 10 दिनों में कभी भी बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है। बेमौसम बरसात का गेहूं और सरसों तथा मटर के उत्पादन पर असर पड़ सकता है, और खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिसे सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक नियंत्रित करने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं।

गेहूं के उत्पादन में गिरावट से सरकार के लिए गोदामों को फिर से भरना मुश्किल हो सकता है, जबकि सरसों का कम उत्पादन दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल खरीदार को पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी के तेल का आयात बढ़ाने के लिए मजबूर कर सकता है। बारिश और ओलावृष्टि किसानों ही नहीं, बल्कि  सरकार की चिंता भी बढ़ा रही है, क्योंकि सर्दियों की फसलों की कटाई अभी शुरू हुई है।

आम तौर पर अक्टूबर और नवम्बर में गेहूं, सरसों और मटर की बुवाई शुरू होती है, और फरवरी के अंत से कटाई आरंभ होती है। बदलते मौसम ने किसानों ही नहीं, बल्कि आम जनता की भी चिंता बढ़ा दी है, जो महंगाई से पहले से ही परेशान है। यदि मुद्रास्फीति और बढ़ी तो उसकी कमर ही टूट जाएगी। बेमौसमी कहर जिस तरह किसानों पर टूटा है, उसे देखते हुए जरूरी है कि तत्काल गिरदावरी कराकर किसानों के नुकसान की भरपाई की जाए।



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