अब ओमीक्रोन बीए.2
वैश्विक महामारी कोरोना के मामलों की कम होती संख्या के दरम्यान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की चेतावनी को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
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डब्ल्यूएचओ ने चेताया है कि ओमीक्रोन का नया बीए.2 सबवेरिएंट मौजूदा वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक और जानलेवा होगा। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह मूल ओमीक्रोन स्ट्रेन से संक्रमित लोगों में पुन: संक्रमण का कारण बनेगा या नहीं। चिंता की बात यह है कि यह कोरोना का आखिरी स्वरूप नहीं होगा। इसलिए सभी देशों को एक होकर इस संहारक को खत्म करने की दिशा में पहल करनी होगी। क्योंकि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है।
ठीक है कि कई देशों में इस महामारी के कारण मरने वालों की संख्या में कमी आई है, मगर इसे हल्के में लेने की भूल कहर ढा सकती है। विश्व में कम टीकाकरण की वजह से नये व ज्यादा घातक वेरिएंट बनाने के लिए अनुकूल हालात हैं। साथ ही बिना सोचे-समझे पांबदियों को हटाना भी बड़ी भूल हो सकती है। भारत की बात करें तो करीब 90 फीसद से ज्यादा वयस्कों का टीकाकरण हो चुका है। अब किशोरों को टीके लग रहे हैं। हालांकि बूस्टर डोज कब तक बाजार में आ जाएंगे और जरूरतमंद लोगों को लग सकेंगे, इस बारे में फिलहाल कुछ भी साफ नहीं है।
हमारे यहां अधिकांश लोगों को टीके की दोनों खुराक लिये हुए छह महीने से ज्यादा हो चुके हैं। चुनांचे, सरकार को तेजी से बूस्टर डोज के लिए अपनी तैयारियों को मजबूती देनी होगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कर्मियों की फौज मुस्तैद रखनी होगी। साथ ही उन देशों के हालात पर भी करीबी निगाह रखनी होगी कि वहां कोरोना की स्थिति कैसी है। वहां किस तरह के मरीज सामने आ रहे हैं और टीकाकरण की क्या स्थिति है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दुनिया भर के देश इस महामारी को ठीक से समझ नहीं सके हैं।
दो-ढाई साल से इस बीमारी ने हर देश की आर्थिकी और मानव संसाधन को तहस-नहस कर डाला है। ओमीक्रोन के बाद से दुनियाभर में अब तक 5 लाख मौतें हो चुकी हैं। हालांकि दुनिया भर में पिछले हफ्ते 17 फीसद संक्रमित और 7 फीसद कम मौते हुई हैं। मामले कम तो हो रहे हैं, मगर हर रोज नये खुलासे ने लोगों की दुारियों में बढ़ोतरी ही की है। यह भी सच है कि हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती के पायदान पर शीर्ष पर रखना होगा, तभी इस महामारी को हराया जा सकता है।
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