जबरन टीका नहीं लगेगा
भारत में कोविड 19 टीकाकरण का एक साल पूरा होने से कुछ ही पहले सर्वोच्च अदालत में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि किसी को जबरन टीका लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
जबरन टीका नहीं लगेगा |
साथ ही केंद्र ने यह भी बताया कि टीकाकरण प्रमाणपत्र दिखाने की भी कोई अनिवार्यता तय नहीं है। केंद्र ने बताया है कि टीकाकरण पर उसके दिशा-निर्देश किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसे टीका लगाने पर जोर नहीं देते। विकलांगों को टीकाकरण का सबूत दिखाने से छूट संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि किसी मानक प्रक्रिया के तहत कोविड वैक्सीन प्रमाणपत्र दिखाना अनिवाय नहीं है। ईवारा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अपील की थी कि सरकार द्वारा विकलांगों का घर-घर जाकर टीकाकरण किया जाए। कोरोना संक्रमितों की संख्या रोजाना करीब 1,20,000 पर पहुंच गई है।
विशेषज्ञों की चेतावनी है कि बढ़ते मामले अस्पतालों की हालत खराब कर सकते हैं। भारत में अब तक लगभग 70 फीसद वयस्कों को कोविड वैक्सीन के दोनों टीके लग चुके हैं। रविवार को भारत में टीकाकरण अभियान का एक साल पूरा हो गया। सोलह जनवरी 2021 को टीकाकरण शुरू किया गया था। तब सरकार ने पूरी वयस्क आबादी यानी लगभग 90 करोड़ लोगों को 2021 खत्म होने से पहले वैक्सीन की दोनों खुराक देने का लक्ष्य बनाया था, हालांकि इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका। अब सूरते हाल यह है कि 18 वर्ष से ऊपर के लगभग 93 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक खुराक दे दी गई है।
भारत में अमेरिका के बाद कोविड के सबसे ज्यादा 3.7 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं। चार लाख 86 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इस दौरान करीब डेढ़ लाख बच्चों के सिर से माता या पिता का साया छिन गया। इनमें से 10,094 बच्चे तो पूरी तरह अनाथ हो गए। ओमीक्रोन वेरिएंट के सामने आने के बाद देश में संक्रमण एक बार फिर उफान पर है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या ज्यादा नहीं है।
टीकाकरण का अभियान चलाते हुए भारत ने दुनिया की तरफ भी मदद का हाथ बढ़ाया। वसुधैव कुटुम्बकम के अपने दर्शन पर चलते हुए 100 से अधिक देशों को टीके उपलब्ध कराए। इनमें अमीर गरीब सभी देश शामिल हैं। भारत के लिए अभी सात फीसद उस आबादी के टीकाकरण की चुनौती है जिसे एक भी टीका नहीं लगा है।
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