डॉक्टर हड़ताल पर क्यों
कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन देश में दस्तक दे रहा है और इधर देश भर के रेजिडेंट डाक्टर शनिवार से हड़ताल पर हैं।
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नीट पीजी काउंसिलिंग में हो रही देरी के विरोध में यह हड़ताल की जा रही है। रेजिडेंट डाक्टरों ने पहले 27 नवम्बर से हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के आश्वासन पर वे काम पर लौट आए थे। अब शनिवार से अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद हैं। जूनियर डाक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो सोमवार से इमरजेंसी सहित अन्य सभी सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी।
नीट पीजी की काउंसिलिंग जल्द से जल्द शुरू होनी चाहिए, इस देरी का खमियाजा उन जूनियर डाक्टरों को नहीं भुगतना चाहिए जिन्होंने कोरोना काल में रात दिन जुटकर लोगों की सेवा की है, यह उनके भविष्य का मामला है। आम तौर पर यह काउंसिलिंग जून तक हो जाती है, लेकिन दिसम्बर चल रहा है और अब तक इसकी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। डाक्टरी कर चुके विद्यार्थियों की बेचैनी इससे बढ़ रही है।
दिल्ली में लोक नायक हॉस्पिटल, सफदरजंग समेत दिल्ली के 7 बड़े अस्पतालों के रेजिडेंट डाक्टर भी हड़ताल में शामिल हैं। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय से उन्हें तीन दिन पहले इस मामले के निपटारे का भरोसा मिला था, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। एसोसिएशन का कहना है कि हम मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सकारात्मक परिणामा का इंतजार कर रहे हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट नीट परीक्षा में ओबीसी के लिए 27% और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10% आरक्षण प्रदान करने वाली केंद्र और मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) की अधिसूचनाओं के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। केंद्र ने 25 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 8 लाख रु पये की वार्षिक आय सीमा पर फिर से विचार करने का फैसला किया है। इसके बाद केंद्र सरकार ने चार हफ्तों के लिए नीट काउंसलिंग टाल दी है।
हड़ताल का ओपीडी सेवाओं पर असर पड़ने लगा है। ऐसे वक्त में जब देश स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी दबाव का सामना कर रहा है, और ओमीक्रोन के देश में पांच मामले आ चुके हों, रेजिडेंट डाक्टरों का हड़ताल पर रहना ठीक नहीं है। सरकार को तत्काल इस मामले में फैसला करना चाहिए।
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