बहुत कुछ बदलना होगा
टी20 विश्व कप प्रतियोगिता में भारत के अंतिम चार में नहीं पहुंच पाने की कसक खेल प्रशंसकों और प्रशासकों को लंबे वक्त तक रहेगी।
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फटाफट क्रिकेट की विश्व कप प्रतियोगिता में भारत पहले मैच में पाकिस्तान से और दूसरे मैच में न्यूजीलैंड से करारी हार वाकई तकलीफदेह है।
रही-सही कसर अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड मैच में न्यूजीलैंड की जीत से तय हो गई और भारत अंतिम चार में जगह बनाने में नाकाम रहा। इस प्रतियोगिता के बाद अब टीम को नया कप्तान (टी-20) और नया कोच मिल जाएगा। इसके बाद होने वाले मैच में टीम का प्रदर्शन कितना शानदार और उम्मीद के अनुरूप रहता है; इसका इंतजार हर किसी को रहेगा।
आश्चर्य की बात है कि जिस टीम ने इंग्लैंड के साथ घरेलू मैच में शानदार प्रदर्शन किया हो और टी-20 प्रतियोगिता के वार्मअप मैच में बेहतरीन फार्म में थी, वह मैच शुरू होते ही बे-पटरी हो गई। इस हार के बाद कप्तान विराट कोहली, कोच रवि शास्त्री और मेंटोर के रूप में हाल ही में नियुक्त पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। खासकर कप्तान के रूप में विराट कोहली का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
कोहली की टीम के कुछ खिलाड़ियों से अदावत और-आर. अिन, चहल और कुलदीप यादव-जैसे स्पिनर्स को एक भी मैच में मौका नहीं देना भी टीम की हार की बड़ी वजह बनी। कई खिलाड़ियों के क्रम में उलटफेर करने से भी टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ा। कप्तान के तौर पर जब भी धोनी और कोहली की तुलना होती है तो पलड़ा धोनी का ही भारी रहता है। समन्वय और लचीला रुख हमेशा से धोनी को अच्छा खिलाड़ी और उससे बढ़कर बेहतरीन कप्तान के रूप में स्थापित करता है।
शायद यही गुण कोहली में नदारद दिखते हैं। कहते हैं, जोश के साथ होश का होना बेहद जरूरी होता है। कोहली जोशीले हैं और मैदान में अपनी आक्रामकता के साथ साथी खिलाड़ियों को भी सुस्त नहीं पड़ने देते हैं, मगर जब बात समझदारी और रणनीति के साथ प्लेइंग इलेवन को चुनने की बात आती है तो वह निराश करते हैं। हालांकि इस मामले में सिर्फ उन्हें ही पूरी तरह से दोषी करार देना गलत होगा क्योंकि टीम चयन में कोच की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। सच तो यह है कि मुख्य कोच के तौर पर शास्त्री प्रभाव दिखाने में विफल रहे हैं।
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