फंसे कर्ज का सामना

Last Updated 21 Oct 2021 01:01:49 AM IST

बैंकों का फंसा कर्ज यानी गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चालू वित्त वर्ष में 8 से 9 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।


फंसे कर्ज का सामना

ऐसा होता है, तो यह वित्त वर्ष 2017-18 के आंकड़े 11.2 प्रतिशत से काफी कम होगा।

साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि कर्ज पुनर्गठन एवं आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे कोविड-19 उपायों से बैंकों के सकल एनपीए को सीमित रखने में मदद मिलेगी।

अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक करीब दो प्रतिशत बैंक ऋण का पुनर्गठन हो सकता है। ऐसे में सकल एनपीए और पुनर्गठन के तहत आने वाले कर्ज समेत दबाव वाली संपत्ति 10-11 प्रतिशत तक पहुंच जाने की संभावना है।

किसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा और एमएसएमई खंडों का कुल कर्ज में तकरीबन 40 प्रतिशत हिस्सा है। इन खंडों में एनपीए और दबाव वाली संपत्तियां अभी और बढ़ने की आशंका है। संभव है कि चालू वर्ष के अंत तक ये बढ़कर क्रमश: 4-5 और 17-18 प्रतिशत तक हो जाएं।

हालांकि कॉरपोरेट क्षेत्र बनिस्बत मजबूत बना हुआ है क्योंकि पांच साल पहले ही संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के दौरान कंपनियों में दबाव वाली ज्यादातर संपत्तियों की पहचान हो चुकी थी।

इससे कंपनियों के बहीखाते मजबूत हुए और वे खुदरा व एमएसएमई के बरक्स अच्छे से महामारी का मुकाबला कर पा रही हैं। बेहतर संचालन से उनका कारोबारी माहौल सुधर रहा है। इससे संपत्ति गुणवत्ता में सुधार होगा जिससे ऋण लागत कम होगी। फलस्वरूप उनकी लाभप्रदता बढ़ेगी।

महामारी की शुरुआत के बाद संपत्ति गुणवत्ता में मामूली गिरावट, वह भी खुदरा ऋणों में ज्यादा रही, के बाद आर्थिक पुनरुद्धार गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिससे ऋण वृद्धि में तेजी आने की संभावना है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भी अपनी रिपोर्ट-‘बैंकिंग प्रणाली परिदृश्य : भारत’ में कहा है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी से ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

यह वृद्धि सालाना 10-13 प्रतिशत रह सकती है। इस आकलन के मद्देनजर मूडीज ने भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए परिदृश्य को ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ कर दिया है। समूचा परिदृश्य बैंकिंग क्षेत्र के लिए उत्साहजनक स्थिति की ओर संकेत करता है। इस बीच आकलन है कि  अगले 12-18 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्तरोत्तर सुधार होगा।



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