जिम्मेदारी से नहीं बच सकते
दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों के धरना स्थल पर एक दलित की पीट-पीट कर हत्या के मामले की पीड़ित परिवार ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
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पंजाब के तरनतारन जिले के लखवीर सिंह (35) की शुक्रवार तड़के नृशंस हत्या की किसान नेताओं ने निंदा की है, साथ ही कहा है कि जब तक तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसान दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर समेत कई नाकों पर बीते करीब ग्यारह महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन उनके धरना स्थल पर हत्या करके पीड़ित को लटका दिए जाने की घटना से हर कोई सन्न रह गया है। बेशक, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कुछ आरोपितों की गिरफ्तारियां की हैं। इस बीच, यह मामला सर्वोच्च अदालत के संज्ञान में लाते हुए याचिका दायर की गई है कि किसानों को धरनास्थल से हटाया जाए।
लंबे समय से चले आ रहे आंदोलन से स्थानीय लोगाों की आवाजाही बाधित हो रही है, और आसपास के क्षेत्रों में कारोबारी गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं। किसानों नेताओं को सोचना होगा कि आने वाले दिनों में उनका विरोध कैसी शक्ल अख्तियार कर सकता है। पहली दफा नहीं है, जब किसानों के धरना स्थल पर ऐसी दर्दनान घटना घटी हो। इससे पहले एक युवती से रेप की घटना ने भी सभी को चौंका दिया था। उस समय भी किसान नेताओं ने घटना में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया था।
दरअसल, किसान नेताओं को समझना होगा कि कोई भी आंदोलन लंबा खिंचता है, तो उसके भटकने का अंदेशा ज्यादा होता है। वैसे भी अभी ये कानून निरस्त हैं यानी लागू नहीं हैं। इसलिए आंदोलन करने का औचित्य नहीं है, लेकिन किसान नेता यह दर्शाने में जुटे हैं कि किसानों के साथ अन्याय हो रहा है और सरकार के साथ उनकी वार्ता की गुंजाइश भी न के बराबर है।
ऐसे में आंदोलन स्थल या उसके आसपास ऐसी दुखद घटना घटती है, तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी से किसान नेता पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं। उन्हें ध्यान रखना ही होगा कि उनके एजेंडा से इतर मंतव्य वाले तत्व आंदोलन में शामिल न हो सकें। बहरहाल, घटना की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
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