मजबूत होंगे रिश्ते
अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस बयान से किसी को आश्चर्य नहीं हुआ होगा कि वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ काम करने के इच्छुक हैं।
मजबूत होंगे रिश्ते |
आम तौर पर भले ही यह धारणा थी कि प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच अच्छे रिश्ते थे और मोदी अबकी बार ट्रंप सरकार के पक्ष में थे। लेकिन यह राजनीतिक यथार्थ है कि दो राष्ट्राध्यक्षों या शासनाध्यक्षों के बीच व्यक्तिगत रिश्ते बहुत अच्छे होने के बावजूद विदेश नीति राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ही संचालित होती है। पिछले दशकों के दौरान भारत और अमेरिका के बीच निकट सैन्य सहयोग ने संस्थागत आधार कायम कर लिया है।
इसलिए यह अपेक्षित था कि अमेरिका में प्रशासनिक बदलाव के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। अंतरराष्ट्रीय समीकरण और परिस्थितियां भी यह मांग कर रही हैं कि अमेरिका भारत के साथ अपने रिश्ते को और अधिक मजबूत बनाए। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के करीब एक सप्ताह पहले भारत और अमेरिका के बीच हुई तीसरी टू प्लस टू की बैठक से यह संकेत मिल गया था कि अमेरिका की भारत-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) नीति के बारे में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट, दोनों में आम राय है।
ऐसा इसलिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव से पूर्व नई दिल्ली में आयोजित टू प्लस टू बैठक पर जो बाइडेन और कमला हैरिस ने कोई सवाल खड़ा नहीं किया था। वास्तविकता यह है कि चीन को लेकर अमेरिका की दोनों राजनीतिक पार्टियों में मतैक्य है। बाइडेन ने साफ तौर पर कहा है कि एक समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने सहित सभी साझा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिल कर काम करेंगे।
इसका आशय यह है कि जो बाइडेन एशिया और विश्व राजनीति में चीन को नम्बर एक बनने से रोकने के लिए भारत-प्रशांत नीति जारी रखेंगे। जाहिर है कि इस क्षेत्र में चीन की सक्रियता को नियंत्रण में रखने के लिए भारत की केंद्रीय भूमिका अनिवार्य है। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन इस तथ्य से परिचित हैं। इसके लिए बाइडेन अपना प्रयास जारी रखेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नाखुश करने का जोखिम नहीं उठाएंगे। भारत और अमेरिका के संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में भारतीय मूल की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस एक सेतु बन सकती हैं।
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