होशियार रहना होगा
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान बेहद अहम है कि सीमा विवाद को पैदा करने या उसे बढ़ावा देने में पाकिस्तान और चीन ‘मिशन’ के तहत काम कर रहे हैं।
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चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले चार-पांच महीने से भारत का तनाव जगजाहिर है। पूर्वी लद्दाख में जिस तरह चीन ने हिमाकत की और अपनी गलती मानने के बजाय भारत पर सीनाजोरी का आरोप लगाया, वह आपत्तिजनक है। मगर चीन के चरित्र से जो देश वाकिफ हैं, उन्हें यह बखूबी पता है कि चीन अपनी इसी चाल से कई देशों को दुश्मन बना चुका है। साथ ही कई देशों खासकर पड़ोसी देशों से उसके रिश्ते बेहद तनाव भरे और विवादित हैं। भारत के साथ भी उसका रवैया दोस्ताना न होकर काफी ज्यादा तनावपूर्ण है।
हालांकि भारत ने दो साल पहले के डोकलाम विवाद को जिस समझदारी और कूटनीतिक तरीके से हल किया, वह काबिलेतारीफ है। स्वाभाविक तौर पर भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से चीन की चाल का जवाब दिया है, उससे चीन भी इस बात को अच्छे से समझ गया है कि भारत अब पहले वाला मुल्क नहीं रहा। लिहाजा इसे घेरने के लिए पाकिस्तान को साथ लेना बेहद आवश्यक है। इसी रणनीति के तहत चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है। यही वजह है कि भारत सीमा पर अपनी मजबूत स्थिति को बनाए रखने की कवायद में लगा हुआ है। दुर्गम इलाकों में कई सारे पुल का निर्माण करने, सड़क निर्माण में तेजी लाने, राफेल की तैनाती के अलावा सैन्य कर्मियों के लिए वर्दी और अन्य सैनिक साजो-सामान की उपलब्धता पर जोर दिया जा रहा है।
भारत यह अच्छे से जान गया है कि चीन के साथ बातचीत का लंबा खेल खेलकर या उसके प्रति नरम रुख अपनाने से उसी की स्थिति मजबूत होगी। सो, अब चीन के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाने से ही उसे जमीन पर लाया जा सकता है। हां, पाकिस्तान के साथ चीन की मिलीभगत से साजिश रचने की बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए। चूंकि पाकिस्तान से भी भारत के लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है और चीन की मंशा है कि भारत को परेशान करने के लिए अगर पाकिस्तान की मदद भी मिल जाए तो भारत को घुटनों पर लाया जा सकता है। देखना है चीन और पाकिस्तान की करतूतों का भारत क्या इलाज निकालता है।
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