आपसी सामंजस्य जरूरी

Last Updated 29 Sep 2020 03:17:41 AM IST

भारत को कोरोना विषाणु महामारी के चपेट में आए हुए करीब छह महीने हो गए हैं। इस दौरान भारत सहित पूरी दुनिया में गरीबी और बेरोजगारी के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं।


आपसी सामंजस्य जरूरी

भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है। महामारी का चेन तोड़ने के लिए देशभर में लागू किए गए कठोर लॉकडाउन की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून तक में देश की जीडीपी में 23.9 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था विभिन्न मोचरे पर निरंतर अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है। क्योंकि इस महामारी को खत्म करने की प्रभावी दवा या वैक्सीन बाजार में कब तक उपलब्ध होगी, इस बारे में अनिश्चितता बनी हुई है। देश के कुछ हिस्सों से ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कोरोना से स्वस्थ होकर घर लौटने वाले व्यक्ति दोबारा संक्रमित हो रहे हैं।

इस वजह से कारोबारियों और उद्यमियों के मन से कोरोना का खौफ खत्म नहीं हो रहा है। इसका असर आर्थिक गतिविधियों और विशेषकर सेवा क्षेत्र में ज्यादा दिखाई दे रहा है, जिसका जीडीपी में 55 फीसद योगदान रहता है, लेकिन दूसरी ओर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्रामीण अर्थव्यस्था में सुधार के संकेत दिए हैं। उन्होंने दावा किया है कि प्रवासी श्रमिकों का शहरों की ओर लौटने का सिलसिला अनवरत जारी है। इसके कारण कल-कारखानों में काम-धंधा होने लगा है। इन सबके बीच स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से संकेत मिल रहे हैं कि देश में कोरोना महामारी का दूसरा दौर अब शिथिल पड़ने लगा है। पिछले कुछ दिनों से कोरोना से संक्रमित नये मरीजों के मुकाबले स्वस्थ होने वालों की संख्या लगातार ज्यादा रही है, लेकिन चिंता की बात यह है कि देश की आबादी अभी भी कोरोना महामारी के विरुद्ध र्हड इम्युनिटि हासिल करने से दूर है।

इसलिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हषर्वर्धन ने चेतावनी दी है कि घर से बाहर निकलते समय महामारी से संबंधित प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करना चाहिए। वास्तविकता यह है कि अगर कोरोना के प्रति लोगों ने गैरजिम्मेदाराना रुख नहीं अपनाया होता तो स्थिति इतनी विस्फोटक नहीं होती। हालांकि इस मामले में सरकार और प्रशासन की ओर से भी शुरुआत में भारी अदूरदर्शिता बरती गई थी। प्रवासी श्रमिकों के सामूहिक पलायन में यह साफ दिखाई दिया था। सत्ता प्रतिष्ठान और स्वास्थ्यकर्मियों की ओर से यह कहा जा रहा है कि महमारी को हराने के लिए सरकार और समाज के बीच आपसी सामंजस्य अनिवार्य है।



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