चिंता हरण व्यवस्था

Last Updated 24 Sep 2020 01:12:12 AM IST

संसद ने उस विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें अनाज, तिलहनों, खाद्य तेलों और प्याज एवं आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने का प्रावधान है।


चिंता हरण व्यवस्था

राज्य सभा ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के उपरांत ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया। लोक सभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। यह विधेयक कानून बनने के बाद इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा। दरअसल, निजी कारोबारियों और निवेशकों को अपनी कारोबारी गतिविधियों को जारी रखने के दौरान अत्यधिक नियामक हस्तक्षेप को लेकर बराबर चिंताएं बनी रहती हैं। इन्हीं के निवारण के लिए यह कानून बनाने की सोची गई। इससे न केवल व्यापारियों की चिंताएं दूर होंगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में निजी एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकषिर्त करने में भी मदद मिलेगी।

सरकार का कहना है कि नई व्यवस्था से कृषि उत्पादन, उत्पादों के भंडारण, प्रसंस्करण, आवागमन, वितरण एवं आपूर्ति संबंधी स्वतंत्रता से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। दरअसल, अरसे से निजी कारोबारी नियामकीय हस्तक्षेपों को लेकर सरकार के समक्ष अपनी चिंताएं जताते रहे हैं। चूंकि सरकार की कोशिश है कि उद्योग एवं व्यापार के समक्ष जो भी समस्याएं हैं, उनका निराकरण किया जाए क्योंकि कारोबारी सुगमता ही अर्थव्यवस्था की बेहतरी सुनिश्चित करती है। पहले  कानून के जरिए स्टॉक की सीमा थोपे जाने से कृषि क्षेत्र में निवेश आने में अड़चनें आ रही थीं। स्टॉक का सीमा संबंधी कानून बीते साढ़े छह दशक से कारोबारियों के लिए दिक्कत पेश करता रहा है, लेकिन तमाम सरकारों ने कारोबार बढ़ाने की तो बात की लेकिन इस कानून को हटाने की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया।

अब स्टॉक सीमा की व्यवस्था राष्ट्रीय आपदा और सूखे की स्थिति में मूल्यों में भारी वृद्धि जैसे आपात हालात से पार पाने के लिए ही लागू की जाएगी। प्रंस्करणकर्ताओं और मूल्य वर्धन करने वालों को स्टॉक सीमा से छूट मिलेगी। इससे यकीनन कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। अधिक भंडारण क्षमता का निर्माण होने से कृषि क्षेत्र में संचरनात्मक आधार मजबूत होगा। भंडारण सुविधाएं ज्यादा होने से फसलों की कटाई के बाद होने वाला नुकसान कम किया जा सकेगा। फसलोपरांत उपज का नुकसान इतना ज्यादा रहता है कि प्रसंस्करण जैसे तमाम उपाय भी कारगर साबित नहीं हो पाए। नई व्यवस्था में उत्पादन का ज्यादा नुकसान नहीं होगा। कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह संशोधन किसान और उपभोक्ता, दोनों के हित में है।



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