वार्ता से उम्मीदें
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच करीब पांच-छह महीनों से जारी तनाव को खत्म करने के लिए या शिथिल करने के लिए पांच बिंदु वाला पंचशील फार्मूला सामने आया है।
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भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच मास्को में हुई मुलाकात के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में इस पंचशील फार्मूला को शामिल किया गया है। पांच सूत्री सहमति पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी सहमति का सम्मान किया जाएगा, जिसके अंतर्गत दोनों पक्ष मतभेदों को बड़े विवाद में तब्दील नहीं करने के लिए वचनबद्ध हैं।
सभी मौजूदा समझौतों का पालन किया जाएगा और सीमा पर तैनात दोनों देशों की सेनाएं पारस्परिक बातचीत जारी रखेंगे, लेकिन इस सहमति पत्र में सबसे अधिक खटकने वाली बात यह है कि संयुक्त घोषणा पत्र में भारत की ओर से लगातार की जा रही इस मांग का उल्लेख नहीं है कि पूर्वी लद्दाख में मई 2020 की यथास्थिति को बहाल किया जाए। विदेश मंत्री जयशंकर चीन में लंबे समय तक राजदूत रहे हैं।
वह चीन की भाषा और चीनी नेताओं के कूटनीति की अच्छी समझ रखते हैं। इसलिए उन्होंने अपने समकक्ष वांग यी के साथ वार्ता के दौरान इस मुद्दे पर बहुत जोर दिया था। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि चीन अपने सैनिकों को कितना पीछे हटाता है। चीन में माओ जेदांग के बाद हू जिन्ताओ के नेतृत्व में भविष्य में साझेदारी के लिए नये मानव समुदाय के निर्माण के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। अर्थात एक ऐसे समुदाय का निर्माण करना है जो भविष्य में साझेदारी कर सके। इस समुदाय के निर्माण में ही मनुष्य जाति का कल्याण निहित है।
चीन का वर्तमान नेतृत्व नियोजित तरीके से इस सिद्धांत को आगे बढ़ा रहा है। अपने वैचारिक प्रभावों से दूसरे देशों की जनता को अपने प्रभाव में लाना आसान नहीं है जितना कि उन्हें आर्थिक प्रगति के स्वप्न में शामिल करना। चीन का दूरगामी लक्ष्य बहुत स्पष्ट है वह साझेदारी के लिए नये समुदाय की विचारधारा पर आगे बढ़ रहा है और इसे सही मानता है। वह अपनी इस वैचारिकता का प्रसार अपने भौगोलिक विस्तार के साथ करना चाहता है। अर्थात वह अपनी विस्तारवादी नीति से पीछे नहीं हटेगा। अगर चीन अपने इस सिद्धांत पर आगे बढ़ता है तो मौजूदा वार्ताओं का कोई अर्थ नहीं रहेगा और भारत को अपनी सतर्कता और सुरक्षा के नये संस्तर तैयार करने होंगे।
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