चीन को फिर झटका
भारत-चीन के बीच जारी तनाव के बीच केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 118 चाइनिज ऐप को बैन कर दिया है।
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इस लिस्ट में पबजी शामिल है। सरकार ने कहा है कि ये चीनी ऐप भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। पहले जून के अंत में भारत सरकार ने चीन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 59 चाइनीज चीनी मोबाइल ऐप्स को बैन किया था। इन ऐप्स में टिकटॉक, शेयर इट, यूसी ब्राउजर, हेलो, विगो जैसी ऐप शामिल थीं। इसके बाद, अगले महीने में सरकार ने 47 और चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस तरह बुधवार को लिए गए फैसले से पहले सरकार 106 चीनी ऐप्स को बैन कर चुकी थी।
भारत-चीन सीमा पर तनाव के बाद सरकार ने प्राइवेसी का हवाला देते हुए यह फैसला किया था। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मई महीने की शुरु आत से ही तनाव की स्थिति बरकरार है। इस तनाव में बढ़ोतरी तब हुई थी, जब जून के मध्य में दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे। वहीं, पिछले महीने फिर से चीनी सैनिकों ने उकसाने वाली हरकत की थी। इस लिहाज से सरकार का यह कदम न्यायोचित ही कहा जाएगा।
हमें यह समझ लेना चाहिए कि चीन पर सैन्य दबाव बढ़ाने के साथ ही डिजिटल स्ट्राइक भी उतनी ही जरूरी है। चीन पर शिंकजा कसने के लिए इस तरह के कदम सरकार को पहले ही उठा लेने चाहिए थे। खैर, देर आयद, दुरुस्त आयद। नि;संदेह इस फैसले से हमें चीन विरोधी आंदोलन को मजबूती से चलाने में मदद मिलेगी। वैसे भी भारत सरकार चीनी ऐप पर पाबंदी के साथ ही भारतीय ऐप को विकसित और प्रचारित करने में जुटी है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई भारतीय ऐप की प्रशंसा कर मोबाइल गेम बनाने के लिए भी स्टार्टअप को प्रेरित भी कर चुके हैं।
प्ले स्टोर पर भी कई भारतीय ऐप लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे हैं। बिगड़ैल चीन को जमीन पर लाने के लिए सीमा पर भारी मोच्रेबंदी के साथ ही उस पर आर्थिक रूप से चोट पहुंचाना भी उतना ही आवश्यक है। बार-बार की बातचीत और समझाइश के बावजूद अगर चीन अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा है तो उसे चौतरफा दबोचना ही कारगर होगा। यही कारगर उपाय बचता है।
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